नई दिल्ली: भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का इजरायल दौरा अपने आप में कई कहानी बयां कर रही हैं. आज आपको बताते हैं कि इजरायल और उसके मोसाद की पूरी कहानी. मोसाद का मकसद आतंक के खिलाफ लड़ना, खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, अपने टारगेट को फिक्स करना और किसी भी हालत में, किसी भी सूरत में, किसी भी जगह जाकर टारगेट को खत्म करना होता है.
अगर किसी ने भी इनके किसी भी आदमी को छू भी दिया और वो दुनिया के किसी भी कोने में है तो फिर वो बच नहीं सकता. ऐसी खुफिया एजेंसी जो आतंक का तब तक पीछा करती है जब तक उसके पूरे नेटवर्क को खत्म न कर दे. हम बात कर रहे हैं इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की और यकीन मानिए दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी है मोसाद.
आज वीडियो विशेष में मोसाद के सबसे खतरनाक मिशन के बारे में आपको बताने जा रहे हैं. दिखाते हैं मोसाद का सबसे पहला मिशन. दुनिया की सबसे खूंखार खुफिया एजेंसी है मोसाद. इजरायल की सबसे बड़ी ताकत. मोसाद की निगाह में जो चढ़ गया उसका बचना नामुमकिन है.
मोसाद के खूंखार एजेंट उसे दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ कर मारने का दमखम रखते हैं. मोसाद की पहुंच हर उस जगह पर है जहां इजरायल के नागरिक रहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी जब इजरायल की धरती पर उतरे तो अपने पहले संबोधन में ही मोसाद के सबसे बड़े ऑपरेशन की बात कह डाली.आज से 41 साल पहले 27 जून 1976 को तेल अवीव से पेरिस के लिए रवाना हुई फ्लाइट थोड़ी देर तक एथेंस में रुकने के बाद उड़ान भरी ही थी पिस्टल और ग्रेनेड लिए चार आतंकियों ने विमान को कब्जे में ले लिया.