नई दिल्ली: पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जनपद एक बार फिर सुर्ख़ियों में है. पिछले 10 दिन में दो बार दो जातियों के बीच हिसंक झड़पों ने पूरे शहर को खौफ के साए में रखा हुआ है. पूरा देश जानना चाहता है कि आखिर सहारनपुर के इस तरह जलने की वजह क्या है ?
कौन जिम्मेदार है सहारनपुर में हुई हिंसा का ? महज 30 दिनों के भीतर यहां दो बड़ी हिंसा की घटनाओं ने उत्तर प्रदेश की नई-नवेली योगी सरकार के कानून व्यवस्था दुरुस्त किए जाने के तमाम दावों की हवा निकाल दी है. अमूमन शांत रहने वाला ये जिला अब संगीनों के साए में जी रहा है.
महीने भर के भीतर सहारनपुर में दो बड़ी हिंसा
महीने भर के भीतर सहारनपुर में दो बड़ी हिंसा हो चुकी हैं. पहले सड़क दूधली गांव में अंबेडकर जयंती पर शोभायात्रा निकाले जाने को लेकर सांप्रदायिक हिंसा और अब 5 मई को महाराणा प्रताप जयंती पर शब्बीरपुर गांव में दलितों और राजपूतों के बीच जातीय हिंसा. इस मामल में अब तक 9 FIR दर्ज हो चुकी हैं. 17 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और लगभग 60 लोग फरार हैं.
एफआईआर में कई सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया गया है. इस जातीय हिंसा की शुरुआत 5 मई को तब हुई जब शब्बीरपुर गांव के कुछ लड़के पास ही के शिमलाना गांव में महाराणा प्रताप की जयंती में शामिल होने के लिए गाजे बाजे के साथ जाने की तैयारी कर रहे थे.