नई दिल्ली: अच्छे दिन आ गए, किसके देवताओं के. पिछले सात सालों में कई मंदिरों को मिलने वाला दान दोगुना हो गया. चाहे वो धरती पर कलयुग में विष्णु के अवतार तिरुपति बालाजी हों या साक्षात गणेश के अंश समझे जाने वाले सिद्धिविनायक या पूरा जीवन फकीरी और सेवा में गुजारने वाले शिरडी वाले साईं. हर तरफ धनवर्षा जारी है.
शिरडी वाले साईं के मालखाने में सिर्फ एक साल में 33 करोड़ रुपए का चढ़ावा बढ़ गया. मतलब सलाना ये करीब पौने तीन करोड़ ज्यादा है और ऐसा सिर्फ शिरडी वाले साईं के दरबार में ही नहीं हो रहा. देश भर के मंदिर, मठ, धार्मिक ट्रस्ट का चढ़ावा तेजी से बढ़ा है.
साल 20017-18 में शिरडी साईं संस्थान का कुल टर्नओवर 460 करोड़ रुपए रहा. पिछले साल की तुलना में 33 करोड़ ज्यादा लेकिन इसी आंकड़े को अगर आप 7 साल पीछे ले जाते हैं तो चढ़ावा इन सात सालों में दोगुना हो गया है. साईं संस्थान के मुताबिक अलग-अलग बैंकों में 1800 करोड़ कैश है. 380 किलो सोना, 4428 किलो चांदी है.
एक और ट्रेंड है जो बिल्कुल नया है. अब भक्तों का बड़ा वर्ग ऑनलाइन डोनेशन कर रहा है. कई भक्त तो क्रेडिट कार्ड का भी इस्तेमाल चढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं. साईं के दरबार में 50 हजार लोग रोजाना दर्शन करते हैं. चाहे वो सीधे पहुंचकर हो या ऑनलाइन और ये भक्त 1 करोड़ 20 लाख की रकम अलग-अलग तरीके से रोजाना साईं को देकर जाते हैं.
ये सवाल लाजमी है. चाहे वो किसी मंदिर-मठ या धार्मिक ट्रस्ट को मिले दान के बारे में है. लाखों-करोड़ों रुपय जो दान में मिलते हैं उनका होता क्या है ? इसका जवाब ये है कि हर ट्रस्ट अपने-अपने तरीके से इस रकम को खर्च करता है. दान में मिले पैसे का बड़ा हिस्सा मंदिर के रख-रखाव में खर्च होता है.
मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर ने सामाजिक कार्यों में लगने वाले फंड में कटौती कर दी है. 2015-16 में मंदिर ने इस मद में 35 करोड़ 13 लाख रुपय दिए. लेकिन पिछले 9 महीनों में इस मद में सिर्फ 6 करोड़ 51 लाख रुपय खर्च किए गए हैं. शिरडी साईं मंदिर की आय भी जिस तरह से बढ़ी है. खर्च उस तरह से नहीं बढ़ाई गई. जैसे अप्रैल से दिसंबर तक संस्थान को दान में 418 करोड़ रुपय मिले. खर्च 204 करोड़ हुए.
(वीडियो में देखें पूरा शो)