नई दिल्ली: पाकिस्तान की कायरता पूर्ण हरकत के बाद हिन्दुस्तान के अंदर आम लोगों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है. उत्तर प्रदेश के देवरिया में शहीद प्रेम सागर के घर आस-पास के इलाकों से हजारों लोग पहुंच गए और अपने हाथ में पाकिस्तान का पुतला लिए अंतिम संस्कार करने लगे.
ये गुस्सा उस शहीद प्रेमसागर के लिए है. जिसके पाकिस्तान ने धोखे से जान ले ली. दरअसल ड्यूटी के दौरान पुंछ की कृष्णा घाटी जो नदी-नालों का खतरनाक टेरेन है. वहां पाकिस्तान की BAT की टीम छिपकर बैठी थी. जिसके जवानों ने धोखे से कायर की तरह गोली चलाई.
प्रेम सागर के शहीद होने की ख़बर मिलते ही पूरा गांव बिलख रहा था. परिवार के तो आंसू कब तक निकलेंगे. वो सूखने लगे और अब आम लोगों की आंखों में कायर पाकिस्तान के लिए आंसू की जगह गुस्से के अंगारों ने ले ली है. देवरिया ही नहीं, हिन्दुस्तान का बच्चा-बच्चा अब बदला चाहता है. देवरिया के गांव की भी वही आवाज है.
पता नहीं पाकिस्तान को ये बातें समझ में आती हैं या नहीं. सरकारें कोई हों वो जनभावना का लंबे समय तक अनादर नहीं कर सकती. खासकर लोकतंत्र में. पाकिस्तान का पिटा हुए लोकतंत्र भले इसे समझ नहीं पाता लेकिन जिस तरह से बार-बार बॉर्डर पर पाकिस्तान उकसा रहा है. कहीं ऐसा न हो कि सौ सुनार की एक लोहार की बाती बात हो जाए.
शहीद परमजीत सिंह 22 वीं सिख बटालियन में जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर थे, पुंछ से जब उनका पार्थिव शरीर को हेलीकॉप्टर की मदद से तरण-तारन के लिए लाया गया. पुंछ से तरन तारण लाए गए शहीद जेसीओ परमजीत सिंह के पार्थिव शही को जब अबोध बेटे ने सलामी दी तो देश के कोने-कोने से एक ही आवाज आई. अब बदला चाहिए.
प्रेम सागर, और परमजीत की अंतिम यात्रा में उमरा जनसैलाब अपने साथ उस आक्रोश को ढो रहा है जिसे बारूद बनते देर न लगेगी. लोग कह रहे हैं कि अब शहीदों को विदाई देने के लिए खड़ा होने भर से काम नहीं चलेगा. अब वक्त आ गया है कि एक के बदले कायरों के 50 सिर लाओ. उनकी ईंट से ईंट बजाओ.
कृष्णा घाटी में हिन्दुस्तान का आखिरी पोस्ट नंगी टेकरी है. इस इंडियन पोस्ट के सामने काली पहाड़ी है. जिस पर पाकिस्तान के दो पोस्ट हैं. जो इस बॉर्डर पर आखिरी पोस्ट है. पहला पोस्ट है इरफान और दूसरा पिंपल. भारत-पाकिस्तान के इन पोस्ट के बीच में नाला बहता है.
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