क्या नक्सलियों के खिलाफ भी सर्जिकल स्ट्राइक होनी चाहिए ?

सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की नोट के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की.लेकिन नक्सलियों के खिलाफ कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हो रही.नक्सलियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक होनी चाहिए. इस पिता के गम को समझिए. इन्होंने अपना बेटा खो दिया. लेकिन उससे बड़ा गम इन्हें इस बात का है कि बेटा देश के उन गद्दारों के हाथों मारा गया.

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क्या नक्सलियों के खिलाफ भी सर्जिकल स्ट्राइक होनी चाहिए ?

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  • April 25, 2017 4:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की नोट के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की.लेकिन नक्सलियों के खिलाफ कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हो रही.नक्सलियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक होनी चाहिए. इस पिता के गम को समझिए. इन्होंने अपना बेटा खो दिया. लेकिन उससे बड़ा गम इन्हें इस बात का है कि बेटा देश के उन गद्दारों के हाथों मारा गया.
 
गोली का जवाब गोली से देते मरता तो गर्व होता. लेकिन धोखे से मारा गया. जानते हैं सुकमा में शहीद अभय मिश्रा के पिता गजेन्द्र मिश्र ये बातें क्यों कह रहे हैं. क्योंकि सुकमा में हुआ हमला  आतंकवादी हमले जैसा था. जिसमें मारने वाले ने ये नहीं देखा कि मरने वाला कौन है. वो भी उन्हीं के जैसे घर से आया है .
 
खून बहाने से पहले ये भी नहीं सोचा कि सामने खड़े वीर जवानों से मुकाबला करें. बस धोखे से मार डाला . अब देश पूछ रहा है कि क्या यही विचारधारा की लड़ाई है. ये देश कह रहा है ये नक्सली-वक्सली नहीं ये आतंकी हैं. इन पर सर्जिकल स्ट्राइक करो. जैसा सीमा पार छिपे दुश्मनों के साथ किया.वही हाल देश के इन गद्दारों के साथ करो.
 
सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की नोट के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की.लेकिन नक्सलियों के खिलाफ कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हो रही.नक्सलियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक होनी चाहिए जरा सोचिए जिस मां-बाप ने पैदा किया. उसी के सामने जवान बेटे की मौत की खबर आई तो क्या हाल हुआ होगा.
 
जिसमें आदिवासियों को ढाल बनाकर कुछ लोग हिन्दुस्तान के उन परिवारों के लड़के के खून की होली खेल रहे हैं.जिनके सामने भी रोजी-रोटी की वैसी ही समस्या है.जैसी समस्या का हवाला देकर माओवाद को बार-बार कुछ लोग बचाने की कोशिश करते हैं. लेकिन अब देश पूछ रहा है.क्यों न इन देशद्रोहियों के खिलाफ सेना उतारी जाए. क्यों न इन्हें उसी तरह मारा जाए जैसा सीमा पार के दुश्मनों को मारते हैं .
 
क्या अब वक्त नहीं आ गया है कि इन नक्सल आतंकियों पर हवाई-हेलीकॉप्टर से हमले जैसे ऑप्शन पर गंभीरता से विचार किया जाए. लेकिन हिन्दुस्तान का दर्द देखिए. जिगर के टुकड़े को गंवा चुके इस पिता की भलमनसाहत देखिए. ये आज भी उन खूनी नक्सलियों को अपना बता रहे हैं. जो देश के अंदर रहकर देश की बर्बादी में कोई कसर नहीं छोड़े हुए हैं .
 
सवाल ये कि कब तक देश के बेटे ऐसे धोखे से मारे जाते रहेंगे. पीठ-पीछे वार करने वाले नक्सलियों के खून-खराबे को करारा जवाब कब मिलेगा. छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में शहीद होने वालों में हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले नरेश कुमार भी हैं. नरेश के नहीं रहने की खबर ने परिवार पर मानो वज्रपात कर दिया.
 

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