नई दिल्ली: शेर की तरह दहाड़ती ये आवाज, चीते की फूर्ति.. तूफानी साहस… शेर सा कलेजा. अभी जो आपने पढ़ा वो एक कमांडर का अपने मुल्क से कमिटमेंट है. ऐसा कमिटमेंट जिसमें दुश्मनों पर वो काल की तरह टूट पड़ते हैं. ये नरपत हैं. नरपत सिंह राजपुरोहित. जिनके साहर की तूफानी कहानियां ऐसी हैं मानों आप किसी एक्शन फिल्म की स्क्रिप्ट का हिस्सा सुन रहे हैं. लेकिन यहां कुछ भी फिल्मी नहीं सब रियल है.
हिन्दुस्तान में 1751 किलोमीटर बॉर्डर की निगहवानी के लिए बने SSB यानी सीमा सशस्त्र बल के असिस्टेंट कमांडेट नरपत सिंह राजपुरोहित न सिर्फ अपनी बटालियन बल्कि अपने बल यानी SSB के हीरो हैं. राजस्थान के बाड़मेड़ के रहने वाले नरपत इन दिनों झारखंड के बीहड़ में देश के दुश्मनों को ढूंढते फिरते हैं. वो कहते हैं कि जब यहां पोस्टिंग हुई थी तब नक्सलियों की सरकार थी. अब SSB की बदौलत सब कुछ समान्य है.
लेकिन ये समान्य हालत कब हड़कंप में तब्दील हो जाए ये कहना मुश्किल है. क्योंकि पहाड़ों-जंगलों के बीच अकूत खनिज-संपदा से घिरे इन इलाकों में नक्सलियों का सबसे बड़ा हथियार है गुरिल्ला वॉर (मतलब अचानक से हमला). लेकिन नरपत कहते हैं कि अब उनके गुरिल्ला वॉर का जवाब हमलोग भी तूफानी अंदाज में देते हैं.
लेकिन नरपत सिंह राजपुरोहित की अगुवाई में SSB की 18 वीं वाहिनी सिर्फ इतना ही नहीं करती. वो आतंकवादियों को जिंदा पकड़ती है.अभी तक सिर्फ नपरप की टीम ने 8 हार्डकोर आतंकियों को पकड़ा है. लेकिन कैसे ?
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