नई दिल्ली: सेना के पराक्रम और जौहर को तो हर किसी ने देखा होगा. लेकिन नाश्ते में बिच्छू चबाने वाले और लंच में कोबरा सांप खाने वाले सेना के गुरिल्ला कमांडोज के साहस के बारे में कम ही लोग जानते हैं.
गुरिल्ला कमांडोज को दुश्मनों का काल कहा जाता है क्योंकि उनके आगे कोई भी मिशन नामुमकिन नहीं. ट्रेनिंग के दौरान गुरिल्ला कमांडो को दुश्मन पर अचूक निशाना लगाने के गुर भी सिखाए जाते हैं.
वारांगटा के जंगलों में ही इन गुरिल्ला कमांडोज को काउंटर इन्सर्जेन्सी और जंगल वॉरफेयर स्कूल की ओर से ट्रेन किया जाता है. हर साल करीब 800 जवानों और अफसरों को ये मुश्किल ट्रेनिंग दी जाती है. गुरिल्ला कमांडोज की ये ट्रेनिंग करीब 8 हफ्ते तक चलती है. तब कहीं जाकर तैयार होते हैं ऐसे जांबाज योद्धा.
इंडिया न्यूज ने वारांगटा के जंगलों में जाकर दिल दहला देने वाली इस खतरनाक ट्रेनिंग का बेहद करीब से जायजा लिया और ये जानने की कोशिश की कि ट्रेनिंग के दौरान इन जवानों को किन किन मुश्किलों से गुजरना पड़ता है.
वीडियो में देखें पूरा शो…