नोटबंदी के बाद देश की ‘लाइफलाइन’ का रियल्टी टेस्ट

देश में रोजाना करीब दो करोड़ लोग ट्रेन से सफर करते हैं. रेल सेवा को हमारे देश की लाइफ लाइन माना जाता है. इनमें सफर करने वाले मुसाफिरों पर भी नोटबंदी का असर साफ दिख रहा है.

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नोटबंदी के बाद देश की ‘लाइफलाइन’ का रियल्टी टेस्ट

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  • December 14, 2016 6:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: देश में रोजाना करीब दो करोड़ लोग ट्रेन से सफर करते हैं. रेल सेवा को हमारे देश की लाइफ लाइन माना जाता है. इनमें सफर करने वाले मुसाफिरों पर भी नोटबंदी का असर साफ दिख रहा है.
 
नोटबंदी के 36 दिन बीत चुके हैं पर हालात संभलने का नाम नहीं ले रहे. बैंकों से लेकर एटीएम तक के बाहर नो कैश का बोर्ड लगा है. अकांउट में तो पैसे पड़े हैं पर लोग अपने उन पैसों को बैंकों से बाहर निकाल नहीं पा रहे. कैश के लिए हर कोई परेशान है. 
 
ऐसे में रेल यात्रियों पर भी इसका असर साफ दिख रहा है. लोकल सफर करने वालों के लिए राहत की बात ये है कि एक बार पास बनवा लिया तो टिकट लेने की टेंशन नहीं है. पास में कैश है नहीं टिकट लेना होता तो दिक्कत तो होती ही. जिनके पास ऑनलाइन टिकट बुकिंग का ऑप्शन है उनको भी ज्यादा तकलीफ नहीं है.
 
वो भी कैश की कमी के कारण ज्यादा से ज्यादा ट्रेन में मिलने वाले खाने-पीने की चीजों के खरीदने में दिक्कत का सामना करेंगे. पर उन यात्रियों के लिए ये समय सबसे ज्याद परेशान करने वाला है जो दिहाड़ी में काम करते हैं और कैश पर ही निर्भर हैं. 
 
वीडियो में देखें पूरा शो-

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