संसद पर हमले की पूरी कहानी, दीपक चौरसिया की जुबानी

13 दिसंबर, 2001 का वो दिन, जब देश ने अपने लोकतंत्र के मंदिर यानी भारतीय संसद पर आघात झेला था. उस दिन कई जवानों ने अपने इस मंदिर की सुरक्षा में प्राण न्यौछावर कर दिए लेकिन आतंकियों को उनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया.

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संसद पर हमले की पूरी कहानी, दीपक चौरसिया की जुबानी

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  • December 13, 2016 6:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : 13 दिसंबर, 2001 का वो दिन, जब देश ने अपने लोकतंत्र के मंदिर यानी भारतीय संसद पर आघात झेला था. उस दिन कई जवानों ने अपने इस मंदिर की सुरक्षा में प्राण न्यौछावर कर दिए लेकिन आतंकियों को उनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया. 
 
उस दिन हंगामे के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्रवाई स्थगित हो चुकी थी. सांसद संसद भवन से बाहर निकलने की तैयारी कर रहे थे. अचानक गेट नंबर 9 के आसपस का इलाका गोलियों और बम की आवाज से गूंज उठा. संसद भवन में हर तरफ अफरा-तफरी मची थी. 
 
विजय चौक के पास धुंआ उठने लगा था और हमारे बहादुर जवान आतंकियों को रोकने की पुरजोर कोशिश में जुटे थे. गेट नंबर 11 पर तैनात कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी ने आतंकियों को रोकने की कोशिश की लेकिन उन्हें गोली मार दी गई. फिर भी सुरक्षा कर्मियों ने हौसले कम नहीं हुए और उन्होंने देश की रक्षा में जी-जान लगा दी. 
 
संसद पर हमले के दिन क्या-क्या हुआ, इसकी पल-पल की कहानी सुनिए इंडिया न्यूज के ए​डिटर-इन-चीफ दीपक चौरसिया की जुबानी, जो उस समय संसद में मौजूद थे. वीडियाे में देखें पूरा शो.

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