नई दिल्ली. आठ नवंबर की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1000 और 500 के नोट बंद करने का एलान किया था और 10 नवंबर से बैंकों में नए बदलने की प्रक्रिया शुरू हुई. 31 दिसंबर 2016 तक बैंक जाकर पुराने नोट बदलवाए जा सकते हैं लेकिन बैंकों में भीड़ कम करने के लिए इसकी सीमा साढे चार हजार रुपये से घटाकर 2000 रुपये कर दी गई है. लेकिन 10 दिन बीतने के बाद भी बैंकों से भीड़ कम नहीं हो रही.
बैंक कर्मचारी किसी जांबाज जवानों की तरह इस काम में लगे हैं. कई तरह की परेशानी होने के बाद भी युद्ध स्तर पर नोट बदलने और जमा करने का काम चल रहा है. देश के किसी भी बैंक पर चले जाइये. हर बैंक की तस्वीर करीब करीब एक जैसी है. बैंक के बाहर नोट बदलवाने के लिए मारा-मारी हो रही है. भीड़ को काबू करने के लिए कई जगह इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं.
इंदौर से सेंट्रल बैंक में इंडिया न्यूज़ संवाददाता एहतियाब शेख पहुंचे. जैसे हालात बैंक के बाहर थे ठीक वैसे ही बैंक के अंदर. लंबी कतार और अपनी बारी का इंतजार करते लोग. बैंक में पूरा स्टाफ पूरी तैयारी के साथ काम में लगा हुआ है. काम का बोझ ज्यादा है लेकिन किसी सैनिक की तरह बैंककर्मी अपने काम में जुटे हैं. बैंक के अंदरुनी हालात मैदान ए जंग जैसे हैं. कर्मचारियों को वक्त भी ज्यादा देना पड़ रहा है.
वैसे तो पब्लिक डीलिंग शाम छह बजे तक होती है लेकिन हालात ऐसे बने हुए हैं कि सभी बैंककर्मियों को रात करीब 11 बजे तक रूकना पड़ता है. इसकी भी खास वजह है. दरअसल पब्लिक डीलिंग के बाद नोटों की गिनती करनी होती है. नोट बदलवाने या फिर एटीएम से पैसा निकालने में लोगों को वाकई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
कभी बैंक में कैश खत्म हो जाता है तो कभी नंबर आने पर एटीएम में पैसा नहीं बचता. मगर बैंक के अंदर आपकी मदद में लगे बैंककर्मी भी पूरी कोशिश में है कि आपकी दिक्कतों को कम कर सकें. बैंकों पर काम निपटाने का ज्यादा बोझ है. हालात ऐसे हैं कि कई जगह बैंककर्मी कई दिन से घर तक नहीं जा पा रहे. खाने पीने के लिए भी इन कर्मियों को वक्त तक नहीं मिल रहा..रोहतक में वर्कलोड की वजह से 3 दिन तक बैंक में रुके एक मैनेजर की मौत हो गई.
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