नई दिल्ली. काले धन पर सरकार की करारी चोट से ब्लैकमनी के बड़े खिलाड़ी कराह रहे हैं. अब तक अरबों-खरबों का काला धन बाहर आ चुका है. सैकड़ों-हजारों करोड़पति कंगाल हो गए हैं. हालांकि आम जनता अभी भी बैंकों और एटीएम के बाहर कतार में है पर उन्हें राहत इस बात की है कि काली कमाई वाले धनकुबेर एक एक कर बेनकाब हो रहे हैं. आम आदमी के लिए ये मुश्किलों भरा वक्त है लेकिन काले धन वालों के लिए ये दौर मुसीबत भरा है.
पांच सौ और हजार रुपए की नोटबंदी के बाद पूरा देश बैंकों और एटीएम के बाहर कतार में हांफ रहा है और काले धनकुबेरों का सारा माल धूल फांक रहा है. कौन हैं ये काले कुबेर, कौन हैं ये धन्नासेठ जिनके अपने घरों और दफ्तरों में तो नोट गिनने की मशीनें लगी हैं पर बाहर सड़क पर आम आदमी अपने खून-पसीने के एक एक पैसे के लिए लाइन में लगा है. देश की आम जनता की गाढ़ी कमाई का लुटेरा कौन है. वो बहुरुपया कौन है. जो आपका-हमारा सबका पैसा डकार के बैठा है.
पांच सौ और हजार के नोटों पर पाबंदी लगे 9 दिन गुजर गए पर बैंकों और एटीएम के बाहर लगी लाइन है कि कम ही नहीं होती. ऐसा क्यों. आम आदमी को उनके अपने ही पैसों से दूर कर देने वाला गुनहगार कौन है?
सरकार का फैसला तो काले धन पर अब तक की सबसे बड़ी चोट है पर ब्लैक मनी के वो बड़े खिलाड़ी कौन हैं, जिन्होंने अरबों खरबों के हरे हरे नोटों से अपना घर भर रखा है. कौन है वो बहुरुपया जो अपनी काली कमाई को कहीं सोने में तो कहीं रियल एस्टेट में खपाने में जुटा है. कौन हैं वो धन्ना सेट जिनकी ब्लैकमनी कहीं नदियों में, कहीं झाड़ियों में तो कहीं कूड़ादानों में दम तोड़ रही है.
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