नई दिल्ली. मोदी का मिशन स्पीड वॉर शुरू हो चुका है. कमोबेश ऐसा ही कोच उस बुलेट ट्रेन में भी होगा. जो भारत में दौड़ने वाली है और जापान दौरे पर गए पीएम मोदी भी ऐसी ही बुलेट ट्रेन में सवारी करने वाले हैं, लेकिन खबर सिर्फ ये नहीं कि मोदी बुलेट ट्रेन में कब बैठेंगे और हिंदुस्तान के लोगों को बुलेट की सवारी का मौका कब मिलेगा बल्कि मुद्दा ये है कि भारत आ रही बुलेट ट्रेन से चीन क्यों चिढ़ा हुआ है.
बहुत जल्द रफ्तार का यही रोमांच हिंदुस्तान की पटरी पर भी लोगों के सिर चढ़कर बोलने वाला है, लेकिन चीन को भारत की ये रफ्तार रास नहीं आ रही. चीन नहीं चाहता कि भारत में जापान की बुलेट ट्रेन चले. वो नहीं चाहता कि रफ्तार की होड़ में भारत दुनिया के लिए मिसाल बन जाए चीन के लिए मोदी का जापान दौरा सबसे बड़ा जख्म बन गया है.
क्यों चक्कर आ रहे हैं चीन को क्यों कर रहा है वो भारत में जापानी बुलेट का विरोध सब बताएंगे. उससे पहले मोदी की बुलेट चाल के बारे में जान लीजिए. दो दिन के दौरे पर जापान पहुंचे पीएम मोदी शनिवार को वहां बुलेट ट्रेन की सवारी करेंगे. वो टोक्यो से कोबे तक का सफर बुलेट ट्रेन से तय करेंगे. ये है जापान की राजधानी टोक्यो और यहां है जापानी शहर कोबे में करीब 530 किलोमीटर की ये दूरी बुलेट ट्रेन 3 घंटे में तय करती है.
शनिवार को पीएम मोदी जापान के इसी रूट पर बुलेट की रफ्तार का रोमांच लेंगे. कोबे जाने के पीछे मोदी की मंशा साफ है.वो यहां बनने वाली बुलेट ट्रेन का करीब से मुआयना करना चाहते हैं.आपको बता दें कि ये वही बुलेट ट्रेन टेक्नोलॉजी है.जिससे भारत में मुंबई-अहमदाबाद रूट पर हाई स्पीड रेलवे कॉरिडोर बनाया जा रहा है. पीएम मोदी इससे पहले भी जापान की बुलेट ट्रेन की सवारी कर चुके हैं. वो इसकी तूफानी रफ्तार के कायल रहे हैं.