नई दिल्ली. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं और बुखार हिंदुस्तान और हिंदुस्तानियों के सिर चढ़ा है. अमेरिका में अपनी पसंद के उम्मीदवार को जिताने के लिए नाचने-गाने से लेकर हवन-पूजन तक, इंसान से लेकर भगवान तक को रिझाने के सारे हथकंडे आजमाए जा रहे हैं. मुंबई के साईंधाम मंदिर में ये खास पूजा डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के कहने पर हो रही है.
अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की तादाद करीब 32 लाख है, जिसमें आधे से ज्यादा अमेरिका के वोटर भी हैं. आमतौर पर ये तबका अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थक माना जाता है. अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार इस बार हिलेरी क्लिंटन हैं. हिलेरी क्लिंटन के भारतीय वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने अपना ट्रंप कार्ड भी चल दिया है.
भारतीय मूल के अमेरिकी बिजनेसमैन शलभ कुमार ने डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में लामबंदी कर रखी है, तो होटल कारोबारी संत सिंह चटवाल ने हिलेरी क्लिंटन के लिए मोर्चा संभाला है. अमेरिका में नए राष्ट्रपति के लिए 8 नवंबर को वोटिंग होनी है. अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप और हिलेरी क्लिंटन के बीच कांटे की टक्कर है, इसलिए दोनों की निगाहें भारतीय मूल के वोटरों पर हैं.
हिलेरी के समर्थकों को लग रहा है कि चूंकि भारतीय मूल के लोगों पर मोदी का जादू चल छाया हुआ है और मोदी के साथ बराक ओबामा की केमिस्ट्री जबर्दस्त है, इसलिए भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक थोक के भाव में हिलेरी को वोट देंगे.
वहीं डोनाल्ड ट्रंप भी मोदी के मैजिक में अपनी हिस्सेदारी तलाश रहे हैं. उन्होंने तो मोदी का 2014 के चुनाव वाला नारा भी हाइजैक कर लिया है. भारतीय मूल के लोगों की अमेरिका में आर्थिक और सामाजिक हैसियत पहले से बहुत बड़ी है.
इंजीनियरिंग और मेडिकल फील्ड में भारतीय-अमेरिकियों का अच्छा-खासा दबदबा है. 2013 के आंकड़ों के मुताबिक, जहां अमेरिका में हर घर की औसत सालाना आमदनी 51 हज़ार 939 डॉलर थी, वहीं भारतीय मूल के अमेरिकी परिवार की औसत सालाना कमाई 88 हज़ार डॉलर थी.
इस बार के चुनाव में भारतीय मूल के अमेरिकी वोटरों को अपनी राजनीतिक हैसियत का अंदाज़ा भी हो गया है. इसलिए अमेरिकी की दोनों प्रभावशाली राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार भारत और भारतीयों को यही समझाने में जुटे हैं कि उनके जीतने से भारत को क्या फायदा होगा.
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