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भक्ति के नाम पर खुलेआम चलता है खतरनाक खेल !

मध्यप्रदेश के मंदसौर शहर से पांच किमी दूर ग्राम नालछा स्थित नालछा माता मंदिर को लेकर मान्यता है कि मां नालछा दिन में तीन बार रूप बदती है. सुबह बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था और रात्रि में वृद्धावस्था का रूप दिखता है. नालक्षा माता के आशीर्वाद के लिए लोग अंगारों पर दौड़ते हैं.

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  • October 16, 2016 6:07 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
मंदसौर. मध्यप्रदेश के मंदसौर शहर से पांच किमी दूर ग्राम नालछा स्थित नालछा माता मंदिर को लेकर मान्यता है कि मां नालछा दिन में तीन बार रूप बदती है. सुबह बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था और रात्रि में वृद्धावस्था का रूप दिखता है. नालक्षा माता के आशीर्वाद के लिए लोग अंगारों पर दौड़ते हैं.
 
प्राचीन मान्यता के अनुसार राजा दशरथ के राज्य अयोध्या की सीमा का यह अंतिम पड़ाव था. पास बहने वाले नाले के किनारे ही राजा दशरथ ने श्रवण कुमार का वध किया था.
 
तभी से नाले को श्रवण नाले के नाम से ही जाना जाता है. नवरात्रि पर मां का विशेष श्रृंगार आभूषणों से किया जाता है. नौ दिन तक महाआरती और धार्मिक आयोजनों का दौर दिन भर चलता है. इंडिया न्यूज शो ऐसा भी होता में देखिए भक्ति के नाम पर खुलेआम चलता है खतरनाक खेल.
 
 

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