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इन पराक्रमी महिला कमांडो ने सिर पर दुपट्टा नहीं कफन बांधा है

बम, बारूद और बुलेट के बीच देश की बेटियों की ये मेहनत देश की हिफाजत के लिए है, क्योंकि ये हैं सीआरपीएफ कि पहली महिला कमांडो. ये पहली बार होने जा रहा है जब इन महिला कमांडो को आतंकी और नक्सलियों से लोहा लेने के लिए तैयार किया जा रहा है.

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  • September 11, 2016 11:12 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. बम, बारूद और बुलेट के बीच देश की बेटियों की ये मेहनत देश की हिफाजत के लिए है, क्योंकि ये हैं सीआरपीएफ कि पहली महिला कमांडो. ये पहली बार होने जा रहा है जब इन महिला कमांडो को आतंकी और नक्सलियों से लोहा लेने के लिए तैयार किया जा रहा है.
 
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सूरज की पहली किरण के साथ ही इन महिला कमांडो के दिन की शुरुआत होती है. कठिन ट्रेनिंग से, इन लड़कियों को एक महिला कमांडो बनाने की ट्रेनिंग चल रही है मध्यप्रदेश के शिवपुरी के CIAT school यानी Counter Insurgency and Anti Terrorism School में.
 
आज के दौर में जंग के दस्तूर बदल गये हैं. अब किसी भी जंग को जीतना हथियारों पर निर्भर करता है इसीलिए इन महिला कमांडो को सारे हथियार चलाने की भी हर बारीक ट्रेनिंग दी जा रही है.
 
नक्सलियों के ठिकानों तक पहुँच पाना भी अब आसान नहीं है. इसी को ध्यान में रखते हुए इन महिला कमांडो को 30 से 35 फीट ऊपर से रस्सी के बल उतरने की भी ट्रेनिंग दी जा रही है. इनकी फुर्ती और चुस्ती देखकर कोई भी इनके हौसले को सलाम करना चाहेगा.
 
इंडिया न्यूज़ के खास कार्यक्रम पराक्रम में देखिए पराक्रमी महिला कमांडो का पराक्रम.

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