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21वीं सदी का भारत, इस गांव में भूत भगाने के लिए मुंह में ठूंसे जाते हैं जूते

आजादी के जश्न में तिरंगे को देखकर अगर सिर और सीना गर्व से उठ जाते है तो वहीं देश में कई जगहों पर रूढ़िवादी सोच देखकर सीने में फूली देशभक्ति की हवा यूं निकल जाती है. तिरंगे की शान में गर्व से उठा सिर शर्म के बोझ से इतना झुक जाएगा कि अपने विकसित होने का गुमान भी नहीं दिखेगा. हम विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर हैं.

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  • August 14, 2016 5:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
भीलवाड़ा. आजादी के जश्न में तिरंगे को देखकर अगर सिर और सीना गर्व से उठ जाते है तो वहीं देश में कई जगहों पर रूढ़िवादी सोच देखकर सीने में फूली देशभक्ति की हवा यूं निकल जाती है. तिरंगे की शान में गर्व से उठा सिर शर्म के बोझ से इतना झुक जाएगा कि अपने विकसित होने का गुमान भी नहीं दिखेगा. हम विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर हैं. यहां मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा हर नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है, बावजूद इसके रूढ़िवादी सोच से समाज आज भी जकड़ा हुआ है.
 
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राजस्थान के भीलवाड़ा से हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है. भूत भगाने के नाम पर यहां मंदिर में महिलाओं ऐसी यातनाओं से गुजरना पड़ता है जिसे देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए पीड़ित को पीठ और सिर के बल रेंगकर मंदिर की 200 सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं. 
 
 
प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने के लिए यहां महिलाओं के मुंह में गंदा चमड़े का जूता रखकर कुंड़ में स्नान करने के लिए दो किमी चलना पड़ता है. साथ ही नहाने के बाद उसी जूते से पानी पिलाया जाता है.
 
 
21वीं सदी के हिंदुस्तान में भूत प्रेत उतारने के लिए यहां पर पुरूष एंव महिलाएं गुनिया के रूप में काम करते हैं. कई बार पुरूष गुनिया भी पीड़ित महिला की जूतों से पिटाई कर प्रेत आत्‍मा को भगाने का जतन करते हैं.
 
 
भीलवाडा  जिले के आसीन्‍द कस्बे से 12 किलोमीटर दुर बंक्यारानी मां के मन्दिर में प्रेतात्मा भगाने का दावा किया जाता है. यहॉ पर प्रेत आत्मा भगाने के लिये महिलाओ को काफी यातनाए झेलनी पडती है हर शनिवार और रविवार को मंदिर में ऐसी महिलाओं का जमावड़ा लगा रहता है जिनके ऊपर प्रेतात्मा आने का अंधविश्वासी दावा किया जाता है. यहां महिलाओं को डायन बताकर ऐसी ऐसी यातनाएं दी जाती हैं कि देखने भर से ही शरीर कांप जाता है. भूत प्रेत उतारने के लिये यहा पर पुरूष और महिला को भोपा कहा जाता है.
 
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इस अंधविश्वास ने न सिर्फ पढ़े लिखे लोगों की आंखों पर पट्टी बांध दी है बल्कि इसने मां की ममता को भी अपनी बेड़ियों में जकड़ लिया है. माएं अपने बच्चों के लिए मौत से लड़ जाया करती हैं लेकिन अंधविश्वास की मारी एक मां अपने ही बच्चे को लगातार खतरें में डाल रही है. क्या वाकई हम ये दावा कर सकते हैं कि हिंदुस्तान आजाद हो चुका है और प्रगति कर रहा है.
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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