नई दिल्ली. दुनिया की सबसे बड़ा खजाने का सच ऐसी झील जिसमें शायद पानी से ज्यादा दौलत है… सोना, चांदी, हीरे , जवाहारात के ना जाने कितने टन इस झील में हैं और ऐसा भी नहीं है कि ये खज़ाना छिपा हुआ है. हिमाचल प्रदेश के मंडी से तकरीबन 60 किलोमीटर ऊपर की तरफ है कमरुनाग झील… महज़ कुछ किलोमीटर के दायरे में फैली ये झील मान्यताओं और आस्थाओं का सबसे बड़ा प्रतीक है. ये हिंदुस्तान की इकलौती ऐसी झील है जहां अरबों रुपए पानी के ऊपर तैरते रहते हैं टनों सोना , हीरे, जवाहरात और दुनिया भर के बेशकीमती रत्न इस झील में मछली की तरह तैरते रहते हैं.
कमरुनाग झील के साथ जुड़ी है सदियों पुरानी आस्था, यहां मान्यता है कि इस झील में सोने चांदी के गहने चढ़ाने से मांगी हुई मन्नत पूरी होती है कोई यहां औलाद की चाहत में मन्नत मांगता है तो कोई किसी और काम की सफलता के लिए मान्यता है कि कमरूनाग झील में मांगी हुई हर मन्नत पूरी होती है. कमरूनाग झील दरअसल कमरुनाग भगवान के नाम पर है… यहां झील के पास उनका मंदिर भी है जहां से देश विदेश के हज़ारों लोग मन्नत मांगने आते हैं माना जाता है कि ये झील पांडवों के समय की है… महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपना जीता हुआ सारा खजाना इस झील में अर्पित कर दिया था.
तभी से ये परंपरा निकली कि जो भी यहां मन्नत मांगकर अपना पहना हुआ गहना अर्पित करेगा उसकी हर मनोकामना पूरी होगी कहते हैं कि कमरूनाग के खज़ाने की रक्षा नागदेवता करते हैं… कमरुनाग में ये बात भी मशहूर है कि अगर किसी ने खज़ाना चुराने की कोशिश की तो यहां के आस पास के जंगलों में नाग जैसी आकृति वाले जो पौधे हैं वो असली नाग बनकर खज़ाना चुराने वाले की जान ले लेते हैं. इंडिया न्यूज के एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में आज देखेंगे कमरूनाग झील के खज़ाने में ऐसा क्या है कि सामने पड़े होने के बावजूद कोई इसे छूता तक नहीं है.