पराक्रम: कारगिल के इस युद्ध क्षेत्र में सेना ने लहराया था परचम

सियाचिन हिमालय का वो दुर्गम हिस्सा, जहां जारी रहता है जिंदगी औऱ मौत के बीच कभी ना थमने वाला संघर्ष.माइनस 70 डिग्री में जहां सिर्फ बर्फीली हवा का सिर्फ एक झोंका भी किसी की जान ले सकता है. जहां सैकड़ों फीट मोटी बर्फ की चादर के बीच ज़िंदगी की लौ कभी भी बुझ सकती है. वहीं है दुनिया का सबसे ऊंचा जंग का मैदान जिसे कहते हैं, सियाचिन ग्लेशियर.

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पराक्रम: कारगिल के इस युद्ध क्षेत्र में सेना ने लहराया था परचम

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  • June 18, 2016 5:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. सियाचिन हिमालय का वो दुर्गम हिस्सा, जहां जारी रहता है जिंदगी औऱ मौत के बीच कभी ना थमने वाला संघर्ष.माइनस 70 डिग्री में जहां सिर्फ बर्फीली हवा का सिर्फ एक झोंका भी किसी की जान ले सकता है. जहां सैकड़ों फीट मोटी बर्फ की चादर के बीच ज़िंदगी की लौ कभी भी बुझ सकती है. वहीं है दुनिया का सबसे ऊंचा जंग का मैदान जिसे कहते हैं, सियाचिन ग्लेशियर.
 
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ये दुनिया का सबसे दुर्गम जगह जहां सबसे खतरनाक युद्ध का मैदान को सियाचिन ग्लेशियर कहते हैं आम इंसान यहां एक घंटे भी ज़िंदा नहीं रह सकता 24000 फीट की इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन सिर्फ 10 फीसदी होती है.जिससे दिल की धड़कन करीब 8 गुना तक बढ़कर हार्ट अटैक की वजह बन सकती है…आंखों के सामने अंधेरा छा सकता है, इंसान खड़े खड़े बेहोश हो सकता है.
 
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माइनस 70 डिग्री तक तक गिरने वाला तापमान हाइपोथर्मिया बनकर किसी सोते हुए इंसान को खामोशी से नींद में ही मार सकता है. जहां उबलते हुए पानी को हवा में उछालो तो वो बर्फ बनकर गिर पड़ता है लेकिन ये जानलेवा सियाचिन भी अगर किसी के हौसले का कायल है तो वो है हिंदुस्तानी फौज लेकिन युद्ध के सबसे उंचे मैदान तक पहुंचना आसान नहीं होता है..इसके लिए खास ट्रेनिंग की जरूरत होती है.
 

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