नई दिल्ली: हर लडकी की जिंदगी में दिक्कत होती ही है मगर जब दिक्कत समाज के साथ साथ शरीर में हो तो लड़ना और भी मुश्किल हो जाता है ऐसा ही कुछ हुआ कोलकाता की रहने वाली स्नेहा दास के साथ जिसको बचपन से ही एक बिमारी थी. जिसकी वजह से उसको घर से बाहर निकलने से डर लगता था डॉक्टर का कहना है कि ये एक क्लिनिकल डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर डायग्नोज है . इसी डर और दवाओं को साथ ले कर पढ़ाई की और आईआईटी एग्जाम क्रैक किया. तो आइए जानतें है स्नेह की कहानी. उनही की जुबानी
मैं कोलकाता की रहने वाली स्नेहा मेरा भी जीवन सबकी ही तरह आम था. कोलकाता का एक सधारण परिवार से थी जहां पढाई का खास माहौल नही था ना ही कोई दवाव ना ही माता पिता के पास इतने पैसे थे की दिल खोल कर पढ़ाई में पैसा लगा सके. पापा फोटोग्राफी करके पैसे कामया करते थे. बात 2021 की है उस दौरान कोरोना के काले बादल सबके सर पर छाऐ हुए थे उसी समय मैं 12वीं कक्षा में थी और कोरोना के कारण एग्जाम टाल दिऐ गए थे . उस समय मैंने कुछ करने की नही सोची और बचपन से चल रही मानसिक दिक्कतों की वजह से घर का महौल भी ऐसा नही था. कि मैं कुछ सोचती
घर से बाहर निकलने से डर लगता था इस बिमारी के बारे में स्नेहा जानती तो थी मगर फिर भी शरीर को ये समझाना मुश्किल होता था . मुझे ऐसा लगता था जैसे में बाहर जाऊगी वैसे ही मां को कुछ हो जाएगा. फिर भी जैसे तैसे मैंने स्कूल जाना शूरू किया . वहां मेरा एक अच्छा दोस्त बना उसको मिल कर ऐसा लगा की वो मुझे समझता है , वो मुझसे हमेशा पूछा करता था कि मैं इतनी डरी सहमी क्यों रहती हूं और मैंने इसका जवाब भी दिया और देखते ही देखते मुझे उससे प्यार हो गया. इसके बाद मैं डेढ साल तक इस रिश्ते में रही.
फिर इस खूबसूरत रिश्ते के खत्म होने का वक्त आ गया और ब्रेकअप कर मैने कोटा जाने की सोची और नीट की तैयारी करने की सोची मगर सोचने से क्या होता है हर चीज के लिए पैसा लगता ही है. कोटा जाने के फीस नही थी. और उपर से रिश्ते की वजह से डिप्रेशन हो गया था. फीस के लिए मेरी नानी ने मेरी मदद की. कोटा जाने से पहले में एक गहरे डिप्रेशन में रही जिसको देख कर मेरी मां बेहद परेशान होती थी. मैं बस सारा दिन लेट कर बल्ब को ही देखती रहती थी. मैं खुद को उस रिश्ते से निकाल नही पा रही थी. फिर एक महिने डिप्रेशन मे रहने के बाद मैंने कोटा में दखिला लिया.
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कोटा में दस महीने रहने के बाद मैं (स्नेहा)डिप्रेशन से निकली वहां मेरे कुछ दोस्त बने जिनकी मदद से मैंने डिप्रेशन को पूरी तरह से अलविदा कर दिया. उन्होने मुझमे उम्मीद दिलाई. मैं वहा विजय सर से मिली उन्होने मेरी पूरी मदद की . मैने जी जान लगा कर दिन के 12 घटें पढ़ाई की. और 2022 में JEE MAINS की परीक्षा क्रैक की. फिर आईआईटी रूड़की में दखिला मिल गया.
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