नई दिल्ली: समर शेष है सजग देश है…, सचमुच युद्ध विराम न समझो…, विजय मिली…विश्राम न समझो ये लाइन बिल्कुल फिट बैठती है प्रेम विश्वास पर. प्रेम विश्वास BSF के डिप्टी कमांडेट हैं. बहादुरी के लिए उन्हें राष्ट्रपति से अवॉर्ड भी मिल चुका है.
30 जून 2006 को जब हम और आप रात में चैन की नींद सो रहे थे तब प्रेम विश्वास दिल्ली से 865 किमी दूर जम्मू-कश्मीर की बांदीपुर मार्केट में आतंकियों से लोहा ले रहे थे. BSF की 90 वीं बटालियन के असिस्टेंट कमांडेट प्रेम विश्वास अपने ऑफिसियल आवास पर किसी खुफिया ऑपरेशन की मीटिंग पर बातचीत के बाद लौटे थे.
अभी घंटे भर की नींद पूरी की होगी तभी घर का कॉलबेल बजा. दरवाजे के पीछे से देखा तो कर्नल चौहान साहब थे. 15 वीं राष्ट्रीय रायफल में लेफ्टिनेंट कर्नल विनय राय चौहान. ले. कर्नल चौहान ने प्रेम विश्वास को एक बड़ी ख़बर दी कि दो मिलिटेंट गुरुद्वारे में छुपे हुए हैं. ये जगह उनके घर से 1.5 किमी दूर था.
प्रेम विश्वास ने ले. चौहान के लिए चाय मंगवाई और उसके साथ सुबह का हल्का स्नैक्स. बातचीत शुरू हुई तो चौहान साहब ने कहा प्रेम तुम भी कुछ खाओ. तब असिस्टेंट कमांडेंट विश्वास ने कहा कि वो तो अब बांदीपुर शॉपिंग कॉम्पलेक्स पर ही नाश्ता करेंगे.
अहले सुबह करीब 4.30 बजे प्रेम विश्वास अपने क्लोज-8 ग्रुप के साथ और ले. कर्नल चौहान अपने बॉडीगार्ड के साथ शॉपिंग कॉम्पलेक्स के सामने थे. बीएसएफ की 90 वीं बटालियन के साथ दूसरी बटालियन के करीब 200 जवान ने तीन स्तर पर इलाके को घेर लिया. हर एग्जिट प्वाइंट बंद कर दिया.
इलाके का भूगोल ऐसा था कि इस ऑपरेशन में आतंकवादियों को लीड मिली हुई थी. गली में एक तरफ गुरुद्वारा था दूसरी तरफ मस्जिद. मस्जिद से सटा एक आलिशान मकान था.
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