सलाखें : पीएम मोदी ने असम में भारत के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन क्या किया चीन कांप उठा. दरअसल ये पुल भी सरकार के मिशन हिमालय का हिस्सा है. ये सच है कि चीन पीठ पर वार करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा, लेकिन मोदी सरकार ने तय कर लिया है कि वो ताकत के दम पर ड्रैगन का सिर कुचल के रहेगी. जी हां अब ना तो 1962 वाला वक्त है और ना 1962 का हिंदुस्तान.
मोदी ने महासेतु का उद्घाटन भले ही असम में किया हो लेकिन ये तय है कि भूकंप बीजिग में आया ही होगा. दरअसल मोदी जिस तेजी से हिमालय को शक्ति से सींच रहे हैं उससे चीन का दिल बैठा जा रहा है. यकीनन ये पुल स्थानीय लोगों की जिंदगी बदल देगा लेकिन इसका असल इस्तेमाल करेंगे चीन से लोहा लेने के लिए तैयार हिमालय में डटे हुए आईटीबीपी के जवान.
जी हां चीन का सबसे ज्यादा खतरा अरुणाचल प्रदेश में है जिसपर चीन लंबे वक्त से अपना दावा ठोकता आया है, लेकिन इस पुल के जरिये अब चंद घंटों में भारी फौज और हथियार अरुणाचल प्रदेश पहुंचाए जा सकेंगे. यही वजह है कि इस पुल को खास तौर पर टैंकों और सेना के भारी वाहनों के हिसाब से डिजाइन किया गया है.
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