मौत के डर से बिल में छिपा है बगदादी !

इराक-सीरिया में जहां कहीं भी बगदादी और उसके आतंकियों की मौजूदगी है. अमेरिका, रूस और इराकी फौज बेहिसाब बम बरसा रहे हैं. जमीन में छिपे आतंकियों को खत्म करने के लिए बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन्हीं खतरनाक बमों से बचने के लिए बगदादी ने माया-महल बनाया ताकि बंकर बस्टर बम से बच सके.

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मौत के डर से बिल में छिपा है बगदादी !

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  • November 15, 2016 5:29 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. इराक-सीरिया में जहां कहीं भी बगदादी और उसके आतंकियों की मौजूदगी है. अमेरिका, रूस और इराकी फौज बेहिसाब बम बरसा रहे हैं. जमीन में छिपे आतंकियों को खत्म करने के लिए बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन्हीं खतरनाक बमों से बचने के लिए बगदादी ने माया-महल बनाया ताकि बंकर बस्टर बम से बच सके.
 
बगदादी को अपनी मौत दिखती है और बगदादी मौत से बहुत डरता है. उसे ज़िंदगी बहुत प्यारी है. अपने आतंकियों की इन लाशों को देखकर बगदादी कांप उठता है. यही वजह है कि बगदादी बंकर में छिप गया है. ये तासीर है अमेरिकी बंकर बस्टर बम की जो जमीन के 20 फीट नीचे तक सबकुछ तबाह कर देता है,इसलिए बगदादी ने ऐसा बंकर बनवाया था जिसपर इसका असर ना हो.
 
बगदादी के बंकर के इस छत को देखिए जमीन से कई फीट नीचे इस बंकर की छत को इतना मजबूत बनाया गया है कि बंकर बस्टर बम का असर ना हो.छत पर लोहे के मजबूत गारटर लगाये गये हैं. जो बंकर बस्टर बम के हमले को झेल सकते हैं. बगदादी को इत्मिनान था कि यहां उसकी जान सुरक्षित है. लिहाजा ऐशो आराम की ज़िंदगी जीता रहा, लेकिन जब यहां मौत का डरा सताने लगा.तो कायर बगदादी आमने-सामने के जंग में मैदान छोड़कर भाग निकला.
 
अब करीब करीब ये बात साफ हो गई है कि बगदादी और उसके आतंकी सुरंगों को छिपने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं और मुमकिन है कि बगदादी भी जान बचाने के लिए ऐसी ही किसी सुरंग में छिपा बैठा हो लिहाजा इराकी फौज की नज़र सुरंगों के ऐसे ही जाल पर है.
 
ऐसी ही किसी सुरंग में बगदादी हो सकता है..ऐसा इसलिए क्योंकि बगदादी को अपनी ज़िंदगी ऐसी ही किसी सुरंग में महफूज लग रही है लिहाजा इराकी फौज की नज़र अब आइसिस के कब्जे वाले इलाकों की ऐसी ही सुरंगों पर है. क्योंकि बहुत मुमकिन है कि जल्द बगदादी को ऐसी ही किसी सुरंग से बाहर निकाला जाये.
 
इराक में ऐसी सुरंगों का पूरा जाल फैला हुआ है.जो एक शहर से दूसरे शहर में जाकर निकलती हैं. इन्हें सद्दाम हुसैन ने अपने  वक्त में बनवाया था और दुनिया जानती है कि आखिरी वक्त में सद्दाम हुसैन ने इन्हीं सुरंगों में पनाह ली थी. लिहाजा बगदादी इन्हें खुद के लिए महफूज मान रहा है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि बगदादी का हाल भी सद्दाम जैसा हो सकता है.
 

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