Yamuna Chhath 2018 : जानिए यमुना छठ व्रत महत्व, पौराणिक कथा और पूजा विधि

Yamuna Chhath 2018 : मां दुर्गा के नवरात्रि के छठे दिन यमुना छठ या यूं कहे कि यमुना जयंती का आयोजन किया जाता है. ये त्यौहार मथुरा, वृदांवन व अन्य क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है. यमुना छठ के दिन व्रत किया जाता है और इस दिन तरह तरह की झांकियों का आयोजन भी किया जाता है.

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Yamuna Chhath 2018 : जानिए यमुना छठ व्रत महत्व, पौराणिक कथा और पूजा विधि

Aanchal Pandey

  • March 22, 2018 11:42 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. चैत्र मास की नवरात्रि की षष्ठी तिथि को यमुना छठ या यमुना जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. यह पर्व मथुरा में विशेषकर बहुत धूम धाम से मनाया जाता है एवं यमुना माता की झांकियां पूरे शहर में निकलती हैं. हिम शिखर कालिद से उद्गम हुई यमुना को कालिन्दी भी पुकारा जाता है.

यमुना छठ की पौराणिक कथा :
पौराणिक समय से ही सनातन धर्म में नदियों का विशेषकर स्थान माना गया है एवं उन्हें मातृस्वरूप मान कर पूजा गया है. सूर्य पुत्री यमुना तो वैसे भी यम की बहन हैं, शनि देव भी इनके अनुज हैं. ऐसा माना जाता है की इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धूल जाते हैं एवं वह मोक्ष को प्राप्त होता है. यमुना नदी का वार्न श्याम है, ऐसा भी माना जाता है की राधा कृष्ण के उनके तट पर विचरण करने से, राधा रानी के अंदर लुप्त कस्तूरी धीरे धीरे यमुना नदी में गलती रही एवं इसीलिए उनका रंग भी श्यामल हो गया. यमुना कृष्ण की पत्नी भी माना जाता है. एक किवदंति यह भी है की कृष्ण के प्रेम में विलय रहने की वजह से भी उनका रंग कृष्ण के रंग सम श्यामल हो गया.

भगवान कृष्ण की पटरानी एवं सूर्य पुत्री यमुना को ब्रज में माता के रूप में पूजा जाता है. गर्ग संहिता के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने राधे मां को पृथ्वी पर अवतरित होने का आग्रह किया. राधा मां ने भी श्री कृष्ण से अनुग्रह किया की आप वृंदावन, यमुना, गोवर्धन को भी उस स्थान पर अवलोकित करिए तभी मैं इस पृथ्वी लोक पर वास कर पाऊंगी. उनके इसी आग्रह को पूर्ण कर श्री गोविन्द ने माता यमुना को इस स्थान पर अवतरित कराया.

यमुना छठ उत्सव :
मथुरा के विश्राम घाट में इस उत्सव की विशेष तैयारी की जाती है. संध्या के समय माता यमुना की आरती कर, उनको छप्पन भोग अर्पण किया जाता है. उसके पश्चात लोग धूम धाम से नृत्य, कला,आदि द्वारा इस त्योहार को मनाते हैं.

यमुना छठ व्रत :
कई लोग इस दिन व्रत रख कर , प्रातः काल ही यमुना जी पर डुबकी लगते हैं. माना जाता है की माता यमुना इस दिन प्रसन्न होकर आपको रोग मुक्त भी करती हैं. संध्या के समय पूजन अर्चन कर, यमुना अष्टक का पाठ करते हैं. फिर यमुना जी को भोग लगा कर, दान पुण्य आदि करने के पश्चात व्रत का पारण करते हैं. कृष्ण के अंतिम समय में गुजरात में वास होने की वजह से यह पर्व गुजरात में भी धूम धाम से मनाया जाता है. कृष्ण प्रिया यमुना के स्मरण में गुजराती समुदाय के लोग इस दिन यमुना जी पर डुबकी लगाने गुजरात से मथुरा आते हैं. यहां पर्व मना कर कलश में यमुना जी का जल बांध कर वापस अपने साथ ले जाते हैं. फिर गुजरात में उनके अपने घर, गांव या फिर अपने स्थान में वैदिक मंत्रों द्वारा उस कलश को खोला जाता है.

~ नन्दिता पाण्डेय,
ऐस्ट्रो-टैरोलोजर , आध्यात्मिक गुरु
email : soch.345@gmail.com, +91 9312711293
website : www.nanditapandey.biz

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