नई दिल्लीः भारत एक मान्यताओं और परंपराओं वाला देश है। यहां एक जानवर से लेकर पेड़ों और पानी तक में लोगों की आस्था है। भारत में कई पवित्र नदियाँ हैं और हर नदी के साथ एक मान्यता जुड़ी हुई है। इस वजह से ये नदियाँ अत्यंत ही पूजनीय हैं। यमुना नदी को लेकर भी कहा जाता है कि यमुना नदी में स्नान करने वाले लोगों को यमराज अपने साथ यमलोक नही ले जाते। आज हम आपको यमराज और यमुना नदी के बीच संबंध के बारे में बताएंगे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना नदी को यमराज की बहन भी माना जाता है। यमराज और यमुना दोनों को सूर्य की संतान कहा जाता है। कथाओं के अनुसार सूर्य की पत्नी छाया का रंग काला था। इसीलिए उनकी दोनों संतानों यमराज और यमुना का रंग भी काला है। कथाओं के अनुसार यमुना ने अपने भाई यानी यमराज से वरदान लिया था कि जो भी व्यक्ति यमुना में स्नान करेगा उसे यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। दिवाली के दूसरे दिन यम द्वितीया के दिन यमराज और यमुना भाई-बहन की तरह मिलते हैं। इसलिए इस दिन भाई दूज का त्योहार भी मनाया जाता है। आपको बता दें कोसी घाट के पास यमुना नदी सबसे पवित्र मानी जाती है।
कहा जाता है कि केशी नामक दुष्ट राक्षस का वध करने के बाद भगवान कृष्ण ने यहीं स्नान किया था। यही कारण है कि जो भी यहां डुबकी लगाता है, उसके सारे पाप धुल जाते हैं। यमुना नदी का रंग काला होेने के पीछे एक भौगोलिक कारण है। यमुना नदी जहां-जहां से गुजरती है, उस स्थान के प्रभाव से उसका रंग काला हो गया है। यह भी माना जाता है कि कृष्ण की भक्त होने के कारण उनका रंग काला है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार गंगा को ज्ञान की देवी और यमुना को भक्ति का सागर माना जाता है। ब्रह्म पुराण में यमुना के धार्मिक महत्व की चर्चा करते हुए लिखा गया है, “जो सृष्टि का आधार है और जो अपने लक्षणों से सच्चिदानंद कहलाती है, उपनिषदों ने जिसकी स्तुति ब्रह्म कहकर की है, वह परम तत्व यमुना ही है।”
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