नई दिल्ली. Ganpati bappa morya significance : इस समय हर किसी कि जुबान पर एक ही जयकारा है और वह है ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया’, गणपति बप्पा का आज लोगों के घरों में आगमन हो चुका है ऐसे में हर कोई गणपति बप्पा मोरया का जयकारा लगा रहा है. लेकिन क्या आपने कभी इस […]
नई दिल्ली. Ganpati bappa morya significance : इस समय हर किसी कि जुबान पर एक ही जयकारा है और वह है ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया’, गणपति बप्पा का आज लोगों के घरों में आगमन हो चुका है ऐसे में हर कोई गणपति बप्पा मोरया का जयकारा लगा रहा है. लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि गणपति बप्पा मोरया क्यों बोला जाता है. आइए हम आज आपको बताते है कि आखिर क्या है इस जयकारे के पीछे की कहानी क्या है. दरअसल, ये कथा एक भक्त और उसके भगवान की है जिसने अपने नाम को भगवान के नाम के साथ सदा के लिए जोड़ लिया.
गणपति जी के जयकारे की यह कथा महाराष्ट्र के पुणे के पास बसे चिंचवाड़ गांव की है, दरअसल चिंचवाड़ गांव में एक ऐसे संत पैदा हुए जिनकी भक्ति और आस्था ने भगवान के नाम के साथ उनका नाम जोड़ दिया. बहुत समय पहले इस गांव में एक मोरया गोसावी नाम के व्यक्ति रहा करते थे ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश के आर्शीवाद के बाद ही मोरया का जन्म हुआ था और वह अपने माता-पिता के साथ शुरू से ही गणेश भक्ति में लीन रहते थे. हर साल मोरया गोसावी गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश जी की पूजा के लिए मोरगांव पैदल जाय करते थे. ये भी कहा जाता है कि बढ़ती उम्र की वजह से एक दिन खुद भगवान गणेश उनके सपने में आए और उनसे कहा कि उन्हें कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है, उन्हें मूर्ति नदी में मिलेगी. इसके बाद जैसा उन्होंने सपने में देखा था वैसा ही हुआ और नदी में स्नान करते वक्त उन्हें गणेश प्रतिमा मिली.
इसके बाद लोगों को जब इस घटना की जानकारी हुई तो लोग चिंचवाड़ गांव में मोरया गोसावी के दर्शन के लिए आने लगे और इसी दौरान भक्त पैर छूकर उन्हें मोरया करने लगे और संत मोरया भक्तों को मंगलमूर्ति के नाम से पुकारने लगे. इस प्रकार से शुरू हुआ जयकारा मंगलमूर्ति मोरया का और इस गांव से ही यह जयकारा निकलकर पूरे देश और दुनिया में फैल गया.