मस्जिदों से आती अल्लाहु अकबर की आवाज इस्लाम धर्म के लोगों के लिए नमाज के लिए बुलावा समझा जाता है. एक सच्चा मुसलमान अजान की आवाज सुनते ही नामज पढ़ने के लिए तैयारी शुरू कर देता है. इस्लाम में नमाज पढ़ना हर एक मुसलमान के लिए फर्ज बताया गया है लेकिन क्या आप जानते हैं नमाज से पहले होने वाली आजान क्यों लगाई जाती है.
नई दिल्ली: मस्जिदों से आती अल्लाहु अकबर की आवाज इस्लाम धर्म के लोगों के लिए नमाज के लिए बुलावा समझा जाता है. एक सच्चा मुसलमान अजान की आवाज सुनते ही नामज पढ़ने के लिए तैयारी शुरू कर देता है. इस्लाम में नमाज पढ़ना हर एक मुसलमान के लिए फर्ज बताया गया है लेकिन क्या आप जानते हैं नमाज से पहले होने वाली आजान क्यों लगाई जाती है. आज हम आपको बता रहें हैं इस्लाम धर्म में अजान लगाने का महत्तव.
दरअसल सदियों पहले सऊदी अरब के मदीना तैयबा में जब नमाज बनाई गई तो उस समय जरूरत महसूस हुई की कोई ऐसा तरीका ढ़ूढा जाए जो सभी मुसलमानों को नमाज का समय करीब होने की सूचना दे. इस मामले में जब पैगंबर मोहम्मद साहब ने सहाबा इकराम से परामर्श किया तो चार प्रस्ताव पैगंबर साहब के सामने आए. (1) नमाज के समय से पहले कोई झंडा बुलंद कर इशारा किया जाए. (2) किसी ऊंचे स्थान पर आग जलाकर सुचित किया जाए. (3) यहुदियों की तरह बिगुल बजाकर सूचना दी जाए. (4) इसाई धर्म के माफिक घंटियां बजाई जाएं.
हालांकि, हजरत को कोई भी प्रस्ताव नहीं पसंद आया क्योंकि सभी तरीके दूसरे धर्मों से मिलते-जुलते थे. इस मामले पर विचार चल ही रहा था कि एक रात सहाबा अंसारी हजरत अब्दुल्लाह बिन जैद को एक सपना आया जिसमें उन्होंने देखा कि किसी ने उन्हें अजान और इकामत के शब्द बताए हैं. अगली सुबह उन्होंने यह बार पैगंबर साहब को बताई तो उन्हें यह पसंद आया और उस सपने को खुदा की ओर से आने वाला एक फरमान बताया. पैगंबर साहब ने हज़रत अब्दुल्लाह से कहा कि वे दूसरे हजरत बिलाल को अजान के शब्द पढ़ने के लिए कहो क्योंकि हजरत बिलाल की आवाज बाकि लोगों से बुलंद है. इसके बाद से हजरत बिलाल ने नमाज से पहले अजान देने शुरू की. उसी दिन से इस्लाम में आजान देने की रीत शुरू की गई और हज़रत बिलाल अजान देने वाले पहले मुसलमान बनें.
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