आखिर क्यों इतना खास है देव दीवाली का पर्व, जानिए इसकी कुछ महत्वपूर्ण बातें

नई दिल्ली: भारत त्योहारों का देश है, जहां हर पर्व अपने आप में खास और पवित्र माना जाता है। इन्हीं में से एक है देव दीवाली, जिसे देवताओं की दीवाली कहा जाता है। यह त्योहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो दिवाली के 15 दिन बाद आता है। देव दीवाली मुख्य रूप से […]

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आखिर क्यों इतना खास है देव दीवाली का पर्व, जानिए इसकी कुछ महत्वपूर्ण बातें

Shweta Rajput

  • November 15, 2024 2:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 hours ago

नई दिल्ली: भारत त्योहारों का देश है, जहां हर पर्व अपने आप में खास और पवित्र माना जाता है। इन्हीं में से एक है देव दीवाली, जिसे देवताओं की दीवाली कहा जाता है। यह त्योहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो दिवाली के 15 दिन बाद आता है। देव दीवाली मुख्य रूप से उत्तर भारत, खासकरकाशी (वाराणसी) में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इस साल देव दीवाली 15 नंवबर यानी आज मनाई जा रही है।

देव दीवाली का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में मान्यता है कि देव दीवाली के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का वध किया था। इस उपलक्ष्य में सभी देवता अत्यंत प्रसन्न हुए और स्वर्ग से धरती पर आकर गंगा किनारे दीप जलाए। तभी से यह पर्व “देव दीवाली” के रूप में प्रसिद्ध है। इस दिन को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना के लिए भी शुभ माना जाता है। गंगा नदी को पवित्रता और ऊर्जा का प्रतीक मानते हैं, इसलिए भक्त गंगा स्नान करते हैं और दीप जलाकर पुण्य अर्जित करते हैं।

काशी में देव दीवाली का दृश्य

वाराणसी में देव दीवाली का दृश्य अविस्मरणीय होता है। गंगा घाटों पर हजारों दीप जलाए जाते हैं, जिससे पूरा क्षेत्र रोशनी से जगमगा उठता है।

– दीपदान: भक्त गंगा नदी में दीपदान करते हैं, जो आत्मा की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
– गंगा आरती: इस दिन विशेष गंगा आरती का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होते हैं।
– मंदिरों में पूजा-अर्चना: काशी के प्रमुख मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।

परंपराएं और रीति-रिवाज

1. गंगा स्नान: यह दिन गंगा स्नान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
2. दान-पुण्य: देव दीवाली पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। लोग जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करते हैं।
3. दीप जलाना: घर और मंदिरों में दीप जलाकर देवताओं को प्रसन्न किया जाता है।

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