नई दिल्ली: आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के अवसर पर मनाई जाने वाली शरद पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस पवित्र तिथि पर गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, […]
नई दिल्ली: आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के अवसर पर मनाई जाने वाली शरद पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस पवित्र तिथि पर गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का आगमन होता है। इसके साथ ही, किसी भी प्रकार की अड़चनें और परेशानियां दूर होती हैं। शरद पूर्णिमा का यह पर्व साधक बड़े उत्साह से मनाते हैं और विधिपूर्वक विष्णु भगवान की उपासना करते हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, जिसे ‘अमृत काल’ कहा जाता है। इस अमृत वर्षा का लाभ उठाने के लिए इस रात को खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है और अगले दिन इसका सेवन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सौभाग्य में वृद्धि होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है। यही वजह है कि इस पर्व को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है।
पंचांग के अनुसार, इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात 08 बजकर 40 मिनट पर होगी और इसका समापन 17 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। चंद्रोदय 16 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 05 मिनट पर होगा। इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना और उसकी किरणों का आनंद लेना शुभ माना जाता है।
शरद पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त की बात करें, तो ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:42 से 05:32 तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 02:01 से 02:47 तक रहेगा, जबकि गोधूलि मुहूर्त शाम 05:50 से 06:15 तक रहेगा। निशिता मुहूर्त 17 अक्टूबर को रात 11:42 से 12:32 तक रहेगा। इस दौरान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में शुभता और समृद्धि का संचार होता है।
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