नई दिल्ली़: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ से जुड़े कई नियम हैं. पूजा और व्रत का पूरा फल पाने के लिए इन नियमों का पालन करना जरूरी है। शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लेना जरूरी है.व्रत की शुरुआत से पहले ही संकल्प लेने की परंपरा है क्योंकि संकल्प लेना भी पूजा प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास का कहना है कि अगर पूजा और व्रत से पहले संकल्प लिया जाए तो इसका शुभ फल जल्दी मिलता है.आइए जानते हैं कोई संकल्प कब और कैसे लिया जाता है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों हो जाता है.
धार्मिक विद्वानों के अनुसार है. अगर पूजा या व्रत से पहले कोई संकल्प नहीं लिया जाए तो वह अधूरा होता है और पूजा का सकारात्मक परिणाम नहीं मिलता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, कोई बिना किसी संकल्प के पूजा या व्रत करते हैं, उन्हें भगवान इंद्र से उनकी पूजा का पूरा फल मिलता है.इसलिए चाहे सामान्य दैनिक पूजा हो या कोई विशेष धार्मिक अनुष्ठान, पूजा से पहले संकल्प अवश्य लें.
संकल्प लेने का अर्थ है अपने इष्ट देवता या स्वयं को साक्षी मानकर यह संकल्प लेना कि जिस मनोकामना के लिए हम यह पूजा या व्रत करने जा रहे हैं, हम उसे अवश्य पूरा करेंगे.
संकल्प लेने की एक विशेष विधि होती है. इसमें सबसे पहले हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर भगवान गणेश का ध्यान किया जाता है.क्योंकि भगवान गणेश ब्रह्मांड के पंच महाभूतों में से एक हैं. वह अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश के स्वामी हैं. इस प्रकार संकल्प लेने से पूजा बिना किसी विघ्न के संपन्न हो जाती है.
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