नई दिल्ली: इस साल 17 सितंबर से ही पितृ पक्ष शुरू हैं. पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण से लेकर पिंडदान तक किया जाता है. इससे पितरों को मुक्ति मिलती है और खुश होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. गरुड़ पुराण के मुताबिक पितृ पक्ष पितरों के ऋण चुकाने का समय होता है. पितृ पक्ष के दौरान पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों की आशीर्वाद से घर में सुख-शांति बनी रहती है. इस बार पितृ पक्ष दो अक्टूबर को समाप्त होगा.
पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध भोजन कौए को खिलाया जाता है. इस श्राद्ध में कौए को विशेष महत्व माना गया है. मान्यता है कि अगर श्राद्ध का भोजन कौए ने खा लिया है तो इसका मतलब है कि पितरों ने भी भोजन कर लिया है. पितरों के लिए बनाए गए भोजन, जो गाय, कौए, चींटी, कुत्ते, चींटी और देवों को भोग लगाया जाता है. कहते हैं कि पितृ उनके रूप में धरती पर भोजन करने के लिए आते हैं.
पितृ पक्ष के दौरान कौए को भोजन कराया जाता है. गरुड़ पुराण के मुताबिक कौए को यम का रूप माना जाता है. अगर श्राद्ध का भोजन कौए खा लेते है तो पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती है. पितृ पक्ष के दौरान कौए को भोजना कराने से यमराज प्रसन्न होते हैं और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ पक्ष में कौए को भोजन कराने से कई गुना अधिक लाभ प्राप्त होता है.
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