भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हमेशा से विशेष महत्व रहा है। इनमें से एक अनोखी परंपरा है घर की नींव में नाग-नागिन के जोड़े
नई दिल्ली: भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हमेशा से विशेष महत्व रहा है। इनमें से एक अनोखी परंपरा है घर की नींव में नाग-नागिन के जोड़े को स्थापित करने की। खासकर ग्रामीण इलाकों में यह प्रथा देखने को मिलती है। इस परंपरा का संबंध धार्मिक आस्था, वास्तुशास्त्र और पौराणिक मान्यताओं से है। आइए जानते हैं कि इस प्राचीन रिवाज का क्या रहस्य है और इससे जुड़े कौन-कौन से लाभ मिलते हैं।
भारतीय पौराणिक कथाओं में नागों को बहुत ही शक्तिशाली और रहस्यमयी माना गया है। नागों का संबंध जल, उर्वरता, और पृथ्वी से होता है। ऐसा कहा जाता है कि नागों का आशीर्वाद घर की समृद्धि और भूमि की उर्वरता को बढ़ाता है। नाग-नागिन का जोड़ा संतुलन और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।
1. वास्तु दोष का निवारण
वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर की नींव में नाग-नागिन को स्थापित करने से वास्तु दोषों का निवारण होता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
2. भूमि की सुरक्षा
ऐसा माना जाता है कि नाग-नागिन की स्थापना करने से घर और भूमि की सुरक्षा होती है। इससे घर पर किसी भी बुरी नजर या नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता और घर को स्थायित्व मिलता है।
3. समृद्धि और शांति
नाग देवता को समृद्धि और धन के देवता के रूप में भी देखा जाता है। नाग-नागिन का जोड़ा घर में आर्थिक समृद्धि और मानसिक शांति लाने का काम करता है। यह घर के लोगों को बीमारियों और समस्याओं से भी बचाता है।
4. विनाशकारी ऊर्जा से बचाव
नाग देवता को बुरी शक्तियों से लड़ने वाला देवता माना जाता है। अगर घर की नींव में नाग-नागिन का जोड़ा स्थापित किया जाए तो यह घर और परिवार को बुरी शक्तियों, प्राकृतिक आपदाओं और बुरी नजर से बचाता है।
भारतीय धर्मग्रंथों में नागों को विशेष स्थान दिया गया है। नाग पंचमी जैसे पर्वों पर नाग देवता की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि नाग देवता की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि और शुभता आती है। इसलिए जब कोई नया घर बनता है तो नाग-नागिन के जोड़े को प्रतिष्ठित कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
घर की नींव में नाग-नागिन के जोड़े को स्थापित करना एक प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि वास्तुशास्त्र और सकारात्मक ऊर्जा को भी बढ़ावा देता है। इस प्रथा के माध्यम से घर में शांति, संतुलन और समृद्धि सुनिश्चित की जाती है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित है। पाठकों से निवेदन है कि इसे व्यक्तिगत विश्वास और विवेक से अपनाएं।
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