हिंदू रिवाजों में क्यों किया जाता है वर-वधू का गठबंधन, जानिए वजह

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कई धर्मों को मानने वाले लोग हैं। प्रत्येक धर्म की अपनी परंपराएं होती हैं। अलग संस्कृति अपनाने के बाद भी विवाह सभी समाजों में मौजूद है। हिंदू धर्म में शादियों में कई रस्में देखी जाती हैं। आपने देखा होगा कि शादी के दौरान दूल्हे-दुल्हन का गठबंधन किया जाता है। इसमें […]

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हिंदू रिवाजों में क्यों किया जाता है वर-वधू का गठबंधन, जानिए वजह

Amisha Singh

  • January 19, 2023 8:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कई धर्मों को मानने वाले लोग हैं। प्रत्येक धर्म की अपनी परंपराएं होती हैं। अलग संस्कृति अपनाने के बाद भी विवाह सभी समाजों में मौजूद है। हिंदू धर्म में शादियों में कई रस्में देखी जाती हैं। आपने देखा होगा कि शादी के दौरान दूल्हे-दुल्हन का गठबंधन किया जाता है। इसमें दूल्हे के कंधे पर मौजूद पटके से दुल्हन की चुनरी को बांधा जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों बाँधी जाती है ये गठबंधन की गांठ?

इसलिए होता है गठबंधन

हिंदू धर्म में किए जाने वाले रस्म व रिवाजो का एक विशेष अर्थ होता है। शास्त्रों के जानकारों का कहना है कि अगर विवाह की इन रिवाजो को सही तरीके से नहीं किया जाए तो वर-वधू के पारिवारिक जीवन में कई तरह की बाधाएं आती हैं। पति-पत्नी के बीच बंधे बंधन को पवित्र बंधन माना जाता है। दुल्हे के पटके और दुल्हन की चुनरी के बीच में रखा जाता है। इस गांठ को विवाह के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

रिश्ते से है संबंध

ज्योतिष जानकारों का कहना है कि यह गांठ कपल के तन और मन को एक करने का प्रतीक मानी जाती है। कहा जाता है कि यह गांठ जितनी मजबूत होती है पति-पत्नी का रिश्ता उतना ही मजबूत और प्यार भरा होता है। इस गांठ को बांधने का काम दूल्हे की बहन करती है। यह गांठ न सिर्फ पति-पत्नी के बीच के रिश्ते के बारे में बताती है बल्कि दो परिवारों के बंधन का भी संकेत देती है।

यह गांठ एक वचन है

यह गांठ भगवान के सामने एक तरह का वादा है कि दोनों एक दूसरे के प्रति वफादार रहेंगे। यह गांठ आपकी भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक एकता का प्रतीक है। सिक्के, चावल, दूर्वा और फूल जैसी चीजें इस गांठ से बंधी होती हैं। इसका अर्थ है कि पति-पत्नी का धन-धान्य पर समान अधिकार होगा। आप दोनों एक साथ अपने जीवन की खुशियों का आनंद लेंगे।

सात फेरे भी है ज़रूरी

आपको बता दें कि शादी की रस्मों में दूल्हा-दुल्हन को एक करने वाली अग्नि के सामने सात वचन लिए जाते हैं। पहले तीन गोद में दुल्हन सामने होती है और अगले चार गोद में दूल्हा आगे होता है। दूल्हा दुल्हन से सात वादे करता है, जबकि दुल्हन भी दूल्हे से सात वादे करती है। इसके बाद शादी-विवाह का समारोह पूरा होता है।

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.)

 

 

 

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