Mahabharat: हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए सिंदूर लगाती है। भारत में एक ऐसी भी आबादी है जो शादी भी करती है, अपने मांग में सिंदूर भी लगाती है लेकिन दूसरे ही दिन वह विधवा हो जाती है। हम किन्नरों की बात कर रहे हैं। किन्नर मांग में सिंदूर लगाती […]
Mahabharat: हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए सिंदूर लगाती है। भारत में एक ऐसी भी आबादी है जो शादी भी करती है, अपने मांग में सिंदूर भी लगाती है लेकिन दूसरे ही दिन वह विधवा हो जाती है। हम किन्नरों की बात कर रहे हैं। किन्नर मांग में सिंदूर लगाती है लेकिन शादी के दूसरे ही दिन वो विधवा हो जाती है। अब सवाल ये उठता है कि किन्नरों से कौन शादी करता होगा? वो किसके नाम की सिंदूर लगाती है? इसकी कहानी महाभारत से जुड़ी हुई है।
किन्नर सिर्फ एक रात के लिए अपने देवता इरावन की पत्नी बनती हैं। ऐसा माना जाता है कि शादी के अगले ही दिन इरावन की मृत्यु हो जाती है। इस वजह से वह विधवा हो जाती हैं। इसलिए वो शादी के अलगे दिन शोक मनाती हैं। किन्नरों में देवता इरावन से शादी करने की परंपरा है। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि किन्नर आपस में शादी नहीं करते हैं। वो आपस में भी शादी करते हैं। उनके बीच संबंध भी बनता है। शादी के बाद वो अपने समुदाय से अलग घर लेकर भी रह सकते हैं।
महाभारत के तमिल अनुवाद में लिखा गया है कि अर्जुन और नागकन्या उलूपी के पुत्र इरावन एक किन्नर थे। उन्हें किन्नरों का देवता माना जाता है। इरावन न सिर्फ देखने में सुन्दर थे बल्कि युद्ध कौशल में उनकी कोई सानी नहीं थी। महाभारत युद्ध में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। इरावन का जन्म एक पुरुष के तौर पर हुआ लेकिन श्राप से वो किन्नर बन गए। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के दौरान कृष्ण ने पांडवों से माता काली को बलि चढ़ाने को कहा। कोई अपनी बलि देने को तैयार नहीं था।
ऐसे में अर्जुन पुत्र इरावन आगे आये। हालांकि उन्होंने शर्त रखी कि बलि देने से पूर्व वो विवाह करना चाहते हैं। उनकी इच्छा जानकर हर कोई हैरान रह गया क्योंकि भला कोई कन्या किन्नर से शादी क्यों करती? साथ ही वो अगले ही पल विधवा हो जाती। तभी कृष्ण ने स्त्री का रूप धारण किया और इरावन से विवाह कर लिया। इरावन की मृत्यु के बाद भगवान अलगे दिन विधवा की तरह विलाप करते रहे।
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