Mahabharat: हिन्दुओं के प्रमुख काव्य ग्रंथ महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है। महाभारत में एक से बढ़कर एक धुरंधरों का उल्लेख है। साथ ही महाभारत की कई ऐसी कहानियां है, जिसके बारे में हमें पता नहीं है। क्या आपको मालूम है कि भगवान श्री कृष्ण दुर्योधन के समधी थे? श्री कृष्ण के पुत्र दुर्योधन […]
Mahabharat: हिन्दुओं के प्रमुख काव्य ग्रंथ महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है। महाभारत में एक से बढ़कर एक धुरंधरों का उल्लेख है। साथ ही महाभारत की कई ऐसी कहानियां है, जिसके बारे में हमें पता नहीं है। क्या आपको मालूम है कि भगवान श्री कृष्ण दुर्योधन के समधी थे? श्री कृष्ण के पुत्र दुर्योधन की बेटी को भगा कर ले गए थे। आइए जानते हैं इस कहानी के बारे में..
भगवान श्रीकृष्ण की 8 पटरानियों में एक का नाम जांबवती था। वो रीछराज जांबवंत की पुत्री थीं। उनके और भगवान श्री कृष्ण के पुत्र का नाम सांब था। वहीं दुर्योधन की पत्नी भानुमति दो संतानों की माता थीं। पुत्र का नाम लक्ष्मण और पुत्री का नाम लक्ष्मणा था। सांब और लक्ष्मणा ये जान कर भी दुर्योधन कृष्ण से कितना चिढ़ता है, एक दूसरे से प्रेम करने लगे। दोनों विवाह करने के बारे में सोचने लगे। दुर्योधन को जब यह बात पता चली तो वो क्रोधित हो उठा और अपनी लक्ष्मणा के स्वयंवर का ऐलान कर दिया।
दुर्योधन ने स्वयंवर के लिए किसी भी यदुवंशी को आमंत्रण नहीं भेजा। इस वजह से सांब स्वयंवर में नहीं जा सकता था। तब उसने लक्ष्मणा को भगाने के बारे में सोचा। स्वयंवर के दौरान ही सांब महल में पहुंच गया और भरी सभा से लक्ष्मणा को उठाकर ले गया। बड़े बड़े महारथी मुंह ताकते रह गए क्योंकि दुर्योधन की इज्जत मिट्टी में मिल चुकी थी। इधर सांब लक्ष्मणा को लेकर श्री कृष्ण के पास ले गए। दुर्योधन भी अपनी सेना लेकर पहुंचा। भगवान ने दुर्योधन को समझाया कि हमारी आपसी शत्रुता का असर बच्चों के प्रेम पर न पड़े। तब जाकर दुर्योधन माना और सांब लक्ष्मणा का विवाह कराया गया।