September 20, 2024
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14 साल वन में साथ भटके लक्ष्मण फिर भी राम ने दिया मृत्युदंड, क्यों?

  • WRITTEN BY: Pooja Thakur
  • LAST UPDATED : August 2, 2024, 11:37 am IST

Ramayan: रामायण हमें कई चीजों की सीख देता है। इसमें भाइयों के बीच एकदूसरे को लेकर प्रेम और त्याग को भी दर्शाया गया है। अपने भाइयों को प्राणों से अधिक प्रेम करने वाले श्रीराम ने आखिरकार क्यों लक्ष्मण को मृत्यदंड दे दिया था। रामायण में वर्णित है कि श्री राम जब लंका पर विजय हासिल करके अयोध्या लौटे तो राजा बन गए। माता सीता वन में चली गईं।

क्यों मिला मृत्युदंड

इन सबके बीच एक दिन यम देवता राम के पास महत्वपूर्ण चर्चा करने आते हैं। उन्होंने प्रभु से कहा कि आपके और मेरे बीच जो बातें होंगी उसे कोई और नहीं सुनेगा। अगर कोई और इस कक्ष में आया तो आप उसे मृत्युदंड देंगे। इसके बाद श्रीराम लक्ष्मण को द्वारपाल नियुक्त कर देते हैं। साथ में यह निर्देश देते हैं कि उनकी और यम के बातचीत के दौरान कोई और अंदर नहीं आ पायें।

दुर्वासा ऋषि हुए क्रोधित

राम की आज्ञा को मानकर लक्ष्मण द्वार पर खड़े हो जाते हैं। कुछ समय के बाद ही वहां पर दुर्वासा ऋषि का आगमन होता है। दुर्वासा ने लक्ष्मण को अपने आगमन की सूचना श्रीराम को देने को कहा। लक्ष्मण ने आदरपूर्वक उन्हें मना कर दिया। इसपर दुर्वासा ऋषि क्रोधित हो गए और पूरे अवध को श्राप देने की बात कही। तब लक्ष्मण ने अयोध्या के बदले खुद को बलिदान करने का निर्णय लिया और कक्ष में पहुंच गए।

राम ने किया लक्ष्मण का त्याग

श्रीराम लक्ष्मण को देखकर दुविधा में आ गए कि वो अपने वचन के अनुसार लक्ष्मण को मृत्युदंड कैसे दे सकते हैं? इस स्थिति में उनके गुरु वशिष्ठ ने उन्हें मागर्दर्शन दिखाया और कहा कि लक्ष्मण का त्याग कर दो। लक्ष्मण को जैसे ही राम द्वारा त्याग करने की सूचना मिली उन्होंने अपने जीवन खत्म करने का निर्णय लिया। तब जाकर लक्ष्मण ने जलसमाधि ले ली।

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