Mahabharata: महाभारत महाकाव्य में कई विचित्र कथाओं का उल्लेख है। पांडु की पत्नी कुंती और माद्री पांच बलवान पुत्रों की माता थी, जिन्हें पांडव के नाम से जाना जाता है। क्या आपको मालूम है कि पांचों पांडवों का जन्म पांडु के वीर्य से नहीं हुआ था। कुंती और माद्री ने देवताओं की आराधना करके पांडवों को जन्म दिया था। आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी कि पांडु पांडवों को जन्म देने में सक्षम क्यों नहीं थे?
दरअसल पांडु को किंदम ऋषि से श्राप मिला था कि वह किसी भी स्त्री से शारीरिक संबंध नहीं बना पाएंगे। अगर वे स्त्री से संबंध बनाने की कोशिश करेंगे तो उनकी मृत्यु हो जाएगी। इसी श्राप की वजह से पांडवों के पिता पांडु की मृत्यु हो जाती है। एक बार पांडु वन में शिकार करने गए। उन्हें झाड़ियों में हलचल सुनाई दी। बिना कुछ सोचे पांडु ने बाण चला दिया लेकिन किसी मनुष्य के चीखने की आवाज सुनाई दी। पांडु वहां पहुंचे तो एक ऋषि जमीन पर छटपटा रहे थे।
किंदम ऋषि वन में अपनी पत्नी के साथ संबंध बना रहे थे तभी पांडु का बाण उन्हें लग जाता है। मरते समय ऋषि ने पांडु को श्राप दे दिया कि जैसे मैं मर रहा हूं तुम भी वैसे ही मरोगे। तुम किसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाए तो तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी। पांडु इस श्राप की वजह से अपनी पत्नी के साथ सहवास नहीं कर सकते थे। यहीं कारण है कि पांचों पांडव उनके वीर्य से नहीं पैदा हुए।
कुंती और माद्री के मां बनने के बाद पांडु परिवार में सभी लोग बेहद खुश थे। एक दिन पांडु अपनी पत्नी माद्री के साथ नदी किनारे टहल रहे थे। मौसम सुहावना था। ठंडी और सुगंधित हवा चल रही थी। हवा की वजह से माद्री के शरीर के कपड़े उड़ गए। माद्री को ऐसे देखकर पांडु खुदपर नियंत्रण नहीं रख पाए और संबंध बना लिया। इसके बाद पांडु की मृत्यु हो गई।
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