Mahabharat: हिन्दुओं के प्रमुख काव्य ग्रंथ महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है। महाभारत में एक से बढ़कर एक धुरंधरों का उल्लेख है। साथ ही महाभारत की कई ऐसी कहानियां है, जिसके बारे में हमें पता नहीं है। क्या आपको मालूम है कि भगवान श्री कृष्ण ने जानबूझकर वीर अभिमन्यु की रक्षा नहीं की थी। कृष्ण चाहते तो अपनी बहन का कोख उजड़ने से बचा सकते थे लेकिन उन्होंने अभिमन्यु को मरने दिया। आखिर भगवान की ऐसी क्या मज़बूरी थी, इसके बारे में आज हम पढ़ेंगे…
द्वापर युग में जब भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया तो उनकी सहायता के लिए देवताओं ने भी विभिन्न जगह जन्म लिया। धर्म स्थापना में सभी कृष्ण का सहायक बनने वाले थे। चंद्रमा को भी अपने पुत्र वर्चा को पृथ्वी लोक पर भेजना पड़ा। चंद्रमा अपने पुत्र वर्चा को प्राणों से अधिक प्रेम करता था। वह नहीं चाहता था कि ज्यादा दिन तक अपने बेटे से दूर रहे। भगवान के कार्य के लिए चन्द्रमा पीछे भी नहीं हट सकता था इसलिए उसने शर्त के साथ वर्चा को पृथ्वी लोक पर भेज दिया।
वर्चा ने धरती पर अभिमन्यु के रूप में जन्म लिया। अभिमन्यु अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र था। महज 16 साल की उम्र में उसने महाभारत का युद्ध लड़ा और वीरगति को प्राप्त हुए। अभिमन्यु ने इतने कम उम्र में कौरवों की सेना में तबाही मचा दी थी। अभिमन्यु को मारने के लिए कौरव नीचता पर उतर आये और युद्ध के नियम को ताक पर रख दिया गया। अभिमन्यु ने युद्ध के दौरान दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण, बृहदबाला, शल्यपुत्रों जैसे बड़े-बड़े योद्धाओं को मार गिराया। युद्ध के 13 वें दिन अभिमन्यु को भी छलपूर्वक चक्रव्यूह में बुलाकर मार दिया गया। चंद्रमा की शर्त पर भगवान विवश थे, इस कारण वो अभिमन्यु को बचाने नहीं गए।
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