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कौन थीं मछली के पेट से जन्मी हस्तिनापुर की रानी, जानें उनकी अनोखी कहानी!

महाभारत के अनुसार, हस्तिनापुर के राजा शांतनु की दूसरी पत्नी का नाम सत्यवती था। सत्यवती को 'मत्स्यगंधा' के नाम से भी जाना जाता था

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कौन थीं मछली के पेट से जन्मी हस्तिनापुर की रानी, जानें उनकी अनोखी कहानी!
  • September 15, 2024 6:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: महाभारत के अनुसार, हस्तिनापुर के राजा शांतनु की दूसरी पत्नी का नाम सत्यवती था। सत्यवती को ‘मत्स्यगंधा’ के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि उनके शरीर से मछली की गंध आती थी। अधिकतर लोग मानते हैं कि सत्यवती केवट (नाविक) की बेटी थीं, लेकिन यह सच नहीं है। आइए जानें सत्यवती के जन्म की दिलचस्प कहानी…

सत्यवती का जन्म कैसे हुआ?

महाभारत के अनुसार, उपरिचर नाम के एक राजा थे, जिनकी पत्नी का नाम गिरिका था। एक बार राजा शिकार पर गए और रानी से दूर होने पर उनका वीर्य स्खलित हो गया। राजा ने वीर्य को अभिमंत्रित किया और एक पक्षी के जरिए अपनी पत्नी तक भेजने की कोशिश की। लेकिन रास्ते में दूसरा पक्षी उस पक्षी पर हमला कर देता है, जिससे राजा का वीर्य नदी में गिर जाता है। उस नदी में एक मछली ने उस वीर्य को निगल लिया।

कुछ समय बाद मछुआरों ने उस मछली को पकड़ा और उसका पेट काटने पर उन्हें एक लड़की और एक लड़का मिला। जब राजा उपरिचर को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने उस लड़के को अपना लिया और लड़की को मछुआरे को सौंप दिया। मछली के पेट से निकली लड़की के शरीर से मछली की गंध आती थी, इसलिए उसे ‘मत्स्यगंधा’ कहा गया। यही लड़की आगे जाकर सत्यवती के नाम से प्रसिद्ध हुई।

कौन थीं हस्तिनापुर की वो रानी, जिनका मछली के पेट से हुआ था जन्म? -  interesting facts about mahabharata rani satyvati birth story king shantu  bhisham pratigya katha - Asianetnews Hindi

राजा शांतनु और सत्यवती का प्रेम

देवनदी गंगा के जाने के बाद राजा शांतनु बहुत अकेले हो गए थे। एक दिन जब वे नदी किनारे जा रहे थे, तो उनकी नजर सत्यवती पर पड़ी और वह उनसे प्रेम करने लगे। राजा ने सत्यवती के पिता (केवट) से विवाह की इच्छा जताई, लेकिन केवट ने शर्त रखी कि सत्यवती की संतान ही हस्तिनापुर के सिंहासन पर बैठेगी। राजा शांतनु ने इस शर्त को स्वीकार नहीं किया क्योंकि उन्होंने पहले ही अपने बेटे देवव्रत (भीष्म) को युवराज बना दिया था।

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भीष्म की प्रतिज्ञा

जब देवव्रत को इस बात का पता चला कि उनके पिता सत्यवती से विवाह करना चाहते हैं, तो वह स्वयं केवट के पास गए। वहां उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि सत्यवती की संतान ही हस्तिनापुर पर राज करेगी और उन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी रहने का वचन भी दिया। इस प्रतिज्ञा के बाद ही सत्यवती का विवाह राजा शांतनु से हुआ। सत्यवती के दो बेटे हुए- चित्रांगद और विचित्रवीर्य। पांडु और धृतराष्ट्र, विचित्रवीर्य के ही पुत्र थे।

 

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