Navratri: भारत में इन दिनों शारदीय नवरात्रि मनाई जा रही है। आज हम एक ऐसी देवी के बारे में जानेंगे जिसने महादेव को अपना स्तनपान कराया था। पश्चिम बंगाल में स्थित तारापीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर लोग अनुष्ठान और तंत्र साधना करने आते हैं। यहां के श्मशान घाट में तंत्र सिद्धि के लिए पूजा की जाती है। कहा जाता है कि यहां पर माता सती की दाहिनी आंख की पुतली का तारा गिरा था, इस कारण तारापीठ नाम पड़ा।
तारापीठ में आराध्य देवी चंडी माता हैं। चंडासुर का वध करने की वजह से उन्हें चंडी कहा गया। पहले इस जगह को चंडीपुर कहा जाता था, जो बाद में तारापीठ हो गया। यहां पर माता की मुख्य प्रतिमा के अलावा एक और मूर्ति हैं। इस मूर्ति में वो भगवान शिव को स्तनपान कराते हुए दिखती हैं। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब महादेव ने विषपान किया तो उन्हें काफी जलन हो रही थी। उस समय सभी देवी-देवताओं के कहने पर मां तारा ने उन्हें स्तनपान कराया था।
कहा जाता है कि तारापीठ के श्मशान घाट की राख दवा होती है। इस राख से तांत्रिक लोगों का इलाज करते हैं। श्मशान में राख की पहाड़ है। वहीं माता तारा को हर दिन बकरे की बलि चढ़ाई जाती है। दीपावली पर शेर के नाख़ून से माता की पूजा की जाती है।
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