नई दिल्ली: गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है और यह सिख समुदाय के प्रमुख पर्वों में से एक है। इस बार गुरु नानक जयंती 15 नवंबर को मनाई जा रही है, जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन पड़ती है। इस पावन पर्व को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है और इस वर्ष गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती मनाई जाएगी।
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी में हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है। उनके पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था। बचपन में ही उन्होंने फारसी, अरबी और संस्कृत जैसी भाषाओं में निपुणता हासिल की थी। अपने जीवन के दौरान, गुरु नानक देव ने समाज में एकता, ईश्वर की भक्ति, सत्य और सेवा का संदेश दिया था। वहीं उनका मानना था कि ईश्वर एक है और वह हर प्राणी में समान रूप से विद्यमान है। उन्होंने समाज में धार्मिक आडंबरों का विरोध करते हुए सच्चाई और ईमानदारी का मार्ग दिखाया। 22 सितंबर 1539 को उनका निधन करतारपुर में हुआ।
गुरु नानक जयंती के दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में जाकर गुरु नानक देव जी के उपदेशों को याद करते हैं। इस दिन प्रभात फेरी निकाली जाती है, जिसमें भक्तगण ढोल-मंजीरे के साथ वाहे गुरु का नाम जपते हुए कीर्तन करते हैं। गुरुद्वारों में अखंड पाठ का आयोजन होता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। इसके अलावा सभी श्रद्धालुओं के लिए लंगर का आयोजन भी होता है.
गुरु नानक देव जी के उपदेशों में कहा गया है कि ईश्वर एक हैं और हर जगह विद्यमान है। उनके अनुसार, हमेशा ईश्वर की भक्ति में मन लगाना चाहिए और ईमानदारी व मेहनत से ही जीविका कमानी चाहिए। इसके साथ ही दूसरों की मदद करना, लोभ-लालच से दूर रहना और सभी को समान दृष्टि से देखना उनके प्रमुख संदेश थे। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं समाज में आपसी प्रेम, समानता और सद्भाव का संदेश देती हैं, जो इस पर्व पर विशेष रूप से स्मरण किए जाते हैं। इस तरह गुरु नानक जयंती सिख समुदाय के लिए न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि उनके आदर्शों को याद करने और उनके बताए रास्तों पर चलने की प्रेरणा का दिन भी है।
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