चन्द्र ग्रहण की नमाज किसे पढ़नी चाहिए?, जानें इसके पीछे की वजह

नई दिल्ली: साल 2024 का आखिरी चंद्र ग्रहण 18 सितंबर 2024 को लगने जा रहा है. चंद्र ग्रहण को लेकर हिंदू धर्म में कई मान्यताएं हैं और इसके नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए कई उपाय किए जाते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि चंद्र ग्रहण का जिक्र इस्लाम में भी किया गया है […]

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चन्द्र ग्रहण की नमाज किसे पढ़नी चाहिए?, जानें इसके पीछे की वजह

Manisha Shukla

  • September 17, 2024 11:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: साल 2024 का आखिरी चंद्र ग्रहण 18 सितंबर 2024 को लगने जा रहा है. चंद्र ग्रहण को लेकर हिंदू धर्म में कई मान्यताएं हैं और इसके नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए कई उपाय किए जाते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि चंद्र ग्रहण का जिक्र इस्लाम में भी किया गया है और इस धर्म में ग्रहण को लेकर खास उपाय भी बताए गए हैं. इस्लाम में चंद्र ग्रहण इस्लाम में चंद्र ग्रहण का खास महत्व है. मुस्लिम लोगों को ग्रहण के दौरान नमाज अदा करने की सलाह दी जाती है. इस्लाम के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान लोग मस्जिद में एक साथ बैठकर नमाज अदा करते हैं.

इस नमाज काफी लंबी होती हैं

chandra grahan 2024 muslim will perform namaz during lunar eclipse | चंद्र  ग्रहण का नमाज से क्या लेना देना है? जानें- क्यों है इस्लाम धर्म में  महत्वपूर्ण | Hindi News,

इस्लाम के अनुसार, हर मुसलमान को चंद्रग्रहण के दौरान नमाज पढ़ना जरूरी नहीं है। सिर्फ वही लोग नमाज अदा कर सकते हैं जिन्होंने ग्रहण के दौरान चांद देखा हो। अगर कोई ग्रहण के दौरान चांद देख लेता है तो उसे मस्जिद में जाकर नमाज पढ़नी चाहिए जब तक ग्रहण का असर पूरी तरह खत्म न हो जाए। यही वजह है कि यह नमाज रोजाना की नमाज से काफी लंबी होती है।

सूरज और चांद अल्लाह के प्रतीक

इस्लाम में सूरज और चांद अल्लाह के प्रतीक हैं। अल्लाह इन्हें इसलिए भेजता है ताकि लोग नमाज पढ़ें और ग्रहण जल्दी खत्म हो जाए। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान नमाज पढ़ने वाले को काबा की तरफ मुंह करके खड़ा होना चाहिए। क्योंकि यह नमाज के स्तंभों में से एक है, जिसके बिना नमाज सही नहीं मानी जाती।

 

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