शिव तांडव में नटराज के पैरों के नीचे कौन सा दानव है?

नृत्य भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जिसे पुराणों, उपनिषदों और कई धार्मिक प्रथाओं में महत्व दिया गया है। यहां हर नृत्य अपनी विशेषता में

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शिव तांडव में नटराज के पैरों के नीचे कौन सा दानव है?

Anjali Singh

  • July 7, 2024 8:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

Shiva Natraj: नृत्य भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जिसे पुराणों, उपनिषदों और कई धार्मिक प्रथाओं में महत्व दिया गया है। यहां हर नृत्य अपनी विशेषता में एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है, जो आत्मा के साथ ब्रह्मांडिक जुड़ाव का अनुभव कराता है।

नृत्य न केवल एक कला है, बल्कि यह आत्मा की शांति और आनंद का सफर है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने आप को भगवान के साथ एक करता है और आनंद के क्षण को महसूस करता है। भारतीय नृत्य की विविधता देवी-देवताओं के अलग-अलग रूपों की आराधना के लिए विकसित हुई है। यहां हर नृत्य एक विशेष पौराणिक कथा या कहानी को दर्शाता है और उसके माध्यम से भक्ति और आध्यात्मिकता को उत्तेजित करता है।

नटराज: शिव का नृत्य

नटराज का नृत्य महादेव शिव के एक प्रमुख रूप को दर्शाता है, जिसमें उनकी तांडव नृत्य के माध्यम से सृष्टि, संहार और सृष्टि की चक्रव्यूह की प्रक्रिया को प्रस्तुत किया गया है। इस नृत्य में उत्साह, उत्सव और भक्ति का विशेष अनुभव होता है।

नटराज के पैरों के नीचे कौन हैं?

नटराज शिव का एक पैर उठा हुआ है, जो मोक्ष का प्रतीक है। इसका मतलब है कि भगवान शिव के चरणों में ही मोक्ष होता है। नटराज के चारों ओर अग्नि ब्रह्मांड को प्रतिष्ठित करती है। नटराज के शरीर पर सांप कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है। नटराज शिव के पैरों के नीचे एक दानव कुचला हुआ है, जो अज्ञानता का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि शिव ने इस दानव को नष्ट कर दिया है। नटराज शिव की पूरी आकृति ओंकार जैसी है, जो ॐ का प्रतीक है।

नृत्य का सांस्कृतिक महत्व

भारतीय संस्कृति में नृत्य का स्थान अभूतपूर्व है। यह न केवल सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, बल्कि इसके माध्यम से भावनाओं, कथाओं और समाज की भावनाओं को साझा किया जाता है।

नृत्य का अद्वितीय संबंध

नृत्य के माध्यम से हम अपनी आत्मा को प्रकट करते हैं और अनंतता का अहसास करते हैं। इसमें सृष्टि के प्राकृतिक नियमों का अनुसरण किया जाता है और इसके माध्यम से आत्मा का साक्षात्कार होता है।

नृत्य हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें आत्मा के साथ ब्रह्मांडिक जुड़ाव का अनुभव कराता है। इसे अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण भागीदार बनाना हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का मान है।

 

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