When is Vishwakarma Puja 2019 Calendar: हर साल की तरह इस साल भी विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2019 को मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने का खास महत्व माना जाता है. इस दिन व्यवसाय, ऑफिस, कारखाना, अस्त्र-शस्त्र पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार में मुनाफा होता है और आपकी खूब तरक्की होती है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं विश्वकर्मा पूजा का महत्व और इसकी पूजा विधि.
नई दिल्ली. When is Vishwakarma Puja 2019 Calendar: हर साल की तरह इस साल भी विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2019 को की जाएगी. पूरे संसार की रचना भगवान विश्वकर्मा के हाथों से की गई थी. कहा जाता है कि इन्ही के कंधो पर भगवान ब्रह्म ने सृष्टि के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी थी. भगवान विश्वकर्मा को इंजीनियर और आर्किटेक्ट भी कहा जाता है. इस दिन फैक्ट्री, कारखानों और अन्य निर्माण स्थलों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि पौराणिक काल में देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और महलों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही किया गया था. इसी वजह से भगवान विश्वकरमा को निरमाण और सृजन का देवता भी माना जाता है. सोने की लंका, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, भगवान शिव का त्रिशुल, पांडवों के लिए इंद्रपस्थ नगप और भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका रचना भी भगवान विश्वकर्मा ने की थी. इस समस्त संसार की रचना विश्वकर्मा ने ही की थी.
विश्वकर्मा पूजा तारीख (When is Vishwakarma Puja 2019 Date Calendar)- 17 सितंबर 2019
विश्वकर्मा पूजा का महत्व ( Vishwakarma Puja 2019 Significance)
भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन को विश्नकर्मा पूजा, विश्नकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है. इस पर्व का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. ऐसी मानयता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही सतयुग के स्वर्ग लोक, श्रेता युग की लंका, द्वापर की द्वारिका और कलयुग की हस्तिनापुर की रचना की थी. भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पकार, वास्तुशास्त्र के देवता, प्रथम इंजीनियर, देवताओं का इंजीनियर और मशीन का देवता कहा जाता है. इसलिए यह पूजा उन लोगों के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं जो कलाकार बनकर, शिल्पकार और व्यापारी हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है.
विश्वकर्मा पूजन विधि ( Vishwakarma Puja 2019 Vidhi )
विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान की मूर्ती को मंदिर में विराजित कर पूजा की जाती है. जिस व्यक्ति के प्रतिष्ठान में पूजा होनी है वह सुबह स्नान करने के बाद अपनी पत्नी के साथ पूजन करें. हाथ में फूल, चावल लेकर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए घर और प्रतिष्ठान में फूल व चावल को छिड़कने चाहिए. ऐसा करने के बाद जन कराने वाले व्यक्ति को पत्नी के साथ यज्ञ में आहुति देनी चाहिए.पूजा करते समय दीप, धूप, पुष्प, गंध, सुपारी आदि का प्रयोग करें. हिंदू धर्म में पूजन से अगले दिन प्रतिमा का विसर्जन करने का विधान है.