When is Puri Rath Yatra 2019: जानें कब है उड़ीसा जगन्नाथ रथ यात्रा, क्या है इसका महत्व

When is Puri Rath Yatra 2019: हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा निकाले जाने का बड़ा ही महत्व है. उड़ीसा के पुरी में इस यात्रा का भव्य आयोजन किया जाता है .इस साल जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा का आयोजन 4 जुलाई 2019 को होगा. इस उत्सव को मनाने के लिए दुनियाभर से लाखों श्रध्दालु यहां आते हैं.

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When is Puri Rath Yatra 2019: जानें कब है उड़ीसा जगन्नाथ रथ यात्रा, क्या है इसका महत्व

Aanchal Pandey

  • June 14, 2019 12:12 am Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. जगन्नाथ रथ यात्रा भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ जगन्नाथ मंदिर में आयेजित की जाती है. जगन्नाथ रथ यात्रा उड़ीसा में मनाया जाने वाला एक भव्य पर्व है. हर साल इस उत्सव में भाग लेने के लिए दुनियाभर से लाखों श्रध्दालु यहां आते हैं. इस पर्व को नौ दिनों तक धूम-धाम से मनाया जाता है. जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा के पर्व को आषाढ़ मास में मनाया जाता है. इस अवसर पर सुभद्रा, बलराम और भगवान श्रीकृष्ण की नौ दिनों तक पूजा की जाती है. इस साल जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा का आयोजन 4 जुलाई 2019 को होगा.

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा में जगन्नाथ जी की मूर्ति को उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की छोटी मूर्ति के साथ रथ में सजाकर रथ यात्रा की शुरुआत की जाती है. इस अवसर पर तीन देवताओं की मुर्ति से सजे हुए रथ को खिंचते हुए दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुंडिचा मंदिर तक ले जाते है और नवें दिन इन्हें वापस लाया जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस स्थान पर आदि शंकराचार्य जी ने गोवर्धन पीठ स्थापित किया था. पुरी प्राचीनकाल से ही संतो और महात्माओं के कारण अपना धार्मिक और अध्यत्मिक महत्व रखता है.

जगन्नाथ रथ यात्रा शुभ मुहूर्त: Jagannath Rath Yatra 2019 Subh Muhurat

जुलाई 3, 2019 को 22:05:58 से द्वितीया आरम्भ
जुलाई 4, 2019 को 19:11:00 पर द्वितीया समाप्त

जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान मनाई जाने वाली परंपराएं

पहांडी एक धार्मिक परंपरा है जिसमें भक्त बलभद्र, सुभद्रा और भगवान श्रीकृष्ण को गुंडिचा मंदिर तक रथ यात्रा करवाते हैं. मान्यता है कि गुंडिचा भगवान श्रीकृष्ण की सच्ची भक्त थीं और उनकी इसी भक्ती का सम्मान करते हुए ये तीनों उनसे हर साल मिलने जाते हैं.

छेरा पहरा एक रस्म है जिसे रथ यात्रा के पहले दिन निभाई जाती है. जिसमें पुरी के गजपति महाराज के द्वारा यात्रा मार्ग और रथों को सोने की झाडू से साफ किया जाता है. दरअसल भगवान के सामने हर व्यक्ति एक समान है इसलिए राजा भी साफ-सफाई वाले का काम करता है. यह रस्म यात्रा के दौरान दो बार की जाती है.

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