नई दिल्ली: मोक्षदा एकादशी, जिसे वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, 2024 में 11 दिसंबर को मनाई जाएगी। यह दिन हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति और पापों के नाश के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन का पालन शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है, जो मार्गशीर्ष मास में आती है। यह दिन गीता जयंती के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था।
1. प्रातः स्नान और संकल्प: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2. विष्णु पूजा: भगवान श्रीकृष्ण या विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें फल, पंचामृत, फूल, और मिठाई अर्पित करें।
3. मंत्र और पाठ: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और गीता के 11वें अध्याय का पाठ करें।
4. दान और सेवा: पूजा के पश्चात जरूरतमंदों को दान करें। यह दिन दान और सेवा के लिए भी शुभ माना जाता है।
– एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन द्वादशी के सूर्योदय तक चलता है।
– पारण समय: 12 दिसंबर को सुबह 7:05 से लेकर 9: 09 द्वादशी तिथि में उपवास खोलना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी का व्रत पितृ दोष निवारण और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत सभी पापों का नाश करता है और भक्त को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत के फलस्वरूप पूर्वजों को मुक्ति मिलती है और व्यक्ति सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मोक्षदा एकादशी के दिन शंख, चक्र गदाधारी भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष तक पहुंचने में मदद मिलती है। मान्यता है कि जितना पुण्य हजारों वर्षों की तपस्या करने से मिलता है, उतना ही फल सच्चे मन से इस व्रत को करने से मिलता है।
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