नई दिल्ली: कार्तिक मास न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस महीने में भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। दामोदर मास के रूप में इसे भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की लीलाओं से जोड़ा गया है, जो […]
नई दिल्ली: कार्तिक मास न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस महीने में भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। दामोदर मास के रूप में इसे भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की लीलाओं से जोड़ा गया है, जो भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक के बराबर कोई दूसरा महीना नहीं है और सत्ययुग के बराबर कोई युग नहीं है।
कार्तिक मास हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष के सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस वर्ष 2024 में कार्तिक मास 18 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 15 नवंबर तक चलेगा। यह मास विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। दीपावली और गोवर्धन पूजा जैसे बड़े पर्व इसी महीने में मनाए जाते हैं, जो इसकी धार्मिक महत्व को और बढ़ाते हैं।
कार्तिक मास को ‘दामोदर मास’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका सीधा संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण का एक नाम ‘दामोदर’ है। इसका अर्थ है ‘जिसके उदर (पेट) पर रस्सी (दाम) से बंधन हो’। यह कथा तब की है जब माता यशोदा ने नटखट बालक श्रीकृष्ण को मक्खन चुराते हुए पकड़ा था और उन्हें एक ऊखल से बांध दिया था। यह बंधन भगवान श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं में से एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसे कार्तिक मास के दौरान विशेष रूप से याद किया जाता है। दामोदर नाम भगवान श्रीकृष्ण की बाल रूप की लीलाओं का प्रतीक है। यह महीना भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की भक्ति और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं का स्मरण करने का समय होता है। इसी कारण से, इस मास में श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और दीपदान का विशेष महत्व है।
कार्तिक मास के दौरान विशेष रूप से स्नान, दान, और पूजा-पाठ करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में किए गए कर्म और साधना का फल कई गुना अधिक मिलता है। सुबह-सुबह स्नान करके भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में तुलसी के पौधे की पूजा और दीपदान का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में तुलसी के समीप दीप जलाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, यह माह पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय व्रत, उपवास और संतुलित आहार का पालन करना सेहत के लिए लाभकारी होता है।
कार्तिक मास के दौरान ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण कहते हैं मुझे सभी पौधों में से तुलसी सबसे प्रिय है और सभी महीनों में से कार्तिक सबसे अधिक प्रिय है। जितने भी तीर्थ स्थान हैं उनमें मुझे मेरी प्रिय द्वारका सबसे प्रिय है और सभी दिनों में से एकादशी सबसे प्रिय है। पद्म पुराण के मुताबिक सबसे फलदायी महीना कार्तिक महीना होता है। भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए की गई हर छोटी-बड़ी भक्ति, तपस्या या दान इस महीने में हज़ार गुना बढ़ जाता है।
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