अध्यात्म

कब है दर्श अमावस्या, जानिए इसका महत्व और कैसे दिलाएं पितरों को शांति

नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। 30 नवंबर 2024 को दर्श अमावस्या मनाई जाएगी। हर महीने में एक बार आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। इसे अगहन मास की अमावस्या भी कहा जाता है। दर्श अमावस्या पर विशेष रूप से पितरों के तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इस दिन पितरों को श्रद्धा अर्पित करने से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। दर्श अमावस्या के दिन चंद्र देव की पूजा करने का विधान है। दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा की पूजा करने से हर इच्छा पूर्ण हो

दर्श अमावस्या का समय

पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि की शुरुआत 30 नवंबर 2024 को सुबह 10:29 बजे होगी और इसका समापन 1 दिसम्बर को 11:50 को होगा। इस दिन सुबह के समय पूजा और तर्पण के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा।

दर्श अमावस्या पर पितरों को शांति दिलाने के उपाय

1. तर्पण और श्राद्ध कर्म करें: पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। यह क्रिया किसी पवित्र नदी या तालाब के पास की जा सकती है। यदि यह संभव न हो, तो घर पर ही गंगाजल मिश्रित जल का उपयोग करके तर्पण करें।

2. दाने और अन्न का दान करें: अमावस्या के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और दान देने से पितरों को संतुष्टि मिलती है। गुड़, तिल, चावल और अन्य खाद्य पदार्थों का दान विशेष रूप से शुभ माना गया है।

3. पीपल के पेड़ की पूजा करें: पीपल का पेड़ पवित्र माना जाता है। दर्श अमावस्या पर पीपल के पेड़ के पास दीप जलाएं और जल चढ़ाएं। पितरों की आत्मा को शांति देने के लिए यह एक शुभ उपाय है।

4. शिव और विष्णु की पूजा करें: इस दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। महामृत्युंजय मंत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना लाभकारी होता है।

5. पवित्र मंत्रों का जाप करें: “ॐ पितृभ्यो नमः” और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” जैसे मंत्रों का जाप करें। ये मंत्र पितरों को शांति प्रदान करते हैं।

धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या पर किए गए दान, तर्पण और पूजा से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। वहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से यह समय ध्यान और मन की शांति के लिए उपयुक्त होता है, क्योंकि चंद्रमा के घटते प्रभाव के कारण वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इस शुभ दिन ध्यान, पूजा,जप-तप और दान करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसे दर्श इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन ध्यान और आत्मनिरीक्षण करने का विशेष महत्व है।

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Shweta Rajput

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