नई दिल्ली: छठ पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य भगवान और छठी मैया की पूजा का प्रतीक है, जो परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। इस पर्व के दौरान महिलाएं विशेष प्रकार का श्रृंगार करती हैं, जिसमें नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाना महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे छिपे धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कारण।
हिंदू धर्म में सिंदूर को विवाहित महिलाओं के सौभाग्य और समर्पण का प्रतीक माना गया है। खासतौर पर छठ पूजा के दौरान इसका उपयोग इसलिए किया जाता है, क्योंकि यह पर्व सूर्य भगवान और छठी मैया की आराधना से जुड़ा है। मान्यता है कि छठ पूजा करने वाली महिलाओं पर भगवान सूर्य और छठी मैया की विशेष कृपा बनी रहती है, जो उनके परिवार को खुशहाल और सुरक्षित बनाए रखती है।
छठ पूजा में महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे अपने पति और परिवार के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं। इस तरह से लंबा सिंदूर लगाना, उनके जीवन में आने वाली किसी भी बुरी शक्ति या नकारात्मकता को दूर रखने का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, यह दर्शाता है कि उनकी इच्छाएं और आशीर्वाद उनके परिवार की खुशहाली के लिए हैं। एक मान्यता ऐसी भी है कि सभी महिलाएं जितना लंबा सिंदूर लगाती हैं पति की आयु भी उतनी ही लंबी होती है। महिलाएं सिंदूर को नाक से लेकर मांग तक भरती हैं।
सिंदूर नारी के सौंदर्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और भारतीय संस्कृति में इसका विशेष स्थान है। छठ पर्व के समय सिंदूर को नाक से लेकर मांग तक इसलिए लगाया जाता है क्योंकि यह जीवन में अखंड सौभाग्य का प्रतीक है। इस पर्व पर विवाहित स्त्रियां अपने पति के स्वस्थ और लंबी उम्र की कामना करते हुए, इस विशेष श्रृंगार के साथ छठ मैया की पूजा करती हैं। इसका सांस्कृतिक महत्व यह भी है कि नाक से लेकर मांग तक का सिंदूर सम्पूर्ण नारीत्व और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
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