Mata Sita: 14 वर्षों के लिए भगवान राम के साथ वनवास काटने गईं माता जानकी का रावण ने हरण कर लिया था। रावण माता सीता को अपनी अर्धांगिनी बनाने के लिए तरह-तरह से डराता-धमकाता रहता था। हालांकि इससे माता विचलित नहीं हुईं और राम के भक्ति में लीन रही। जनकनंदिनी लंका में रावण द्वारा भेजे गए भोजन को ग्रहण नहीं करती थीं। ऐसे में सवाल उठता है कि वो लंका में खाती क्या थीं?
विदित है कि लंका में अशोक वाटिका में माता सीता की रक्षा राक्षस स्त्रियों द्वारा की जाती थी। उन्होंने माता को रावण की रानी बनने के लिए प्रलोभित करने के लिए अनेक उपाय किए। सीता माता को तरह -तरह व्यंजन उपलब्ध कराए। लेकिन माता सीता टस से मस नहीं हुईं। ब्रह्मा जी के अनुरोध पर देवताओं के राजा इंद्र अशोक वाटिका पहुंचे। उन्होंने माता सीता को अपने हाथों से दूध और गुड़ में पकाया हुआ चावल दिया। इस भोजन में दस हजार वर्षों तक भूख मिटाने की शक्ति होती थी।
रावण की चालों से भलीभांति परिचित सीता माता ने इंद्र पर भरोसा नहीं किया और सोचा कि इंद्र के भेष में एक राक्षस है। माता सीता का विश्वास जीतने के लिए इंद्र को यह साबित करना पड़ा कि वह देवताओं के राजा हैं। इंद्र ने माता सीता को दिखाया कि उनके गले में जो माला है, उसके फूल बिना मुरझाए हुए हैं। माता सीता जब आश्वस्त हो जाती हैं तो वह इंद्र द्वारा लाया गया भोजन स्वीकार कर लेती हैं। माता सीता इंद्र द्वारा लाया गया खीर खाकर ही लंका में रहीं।
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