Ramayan: हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि पत्नी को अपने पति का नाम नहीं लेना चाहिए। त्रेता युग में माता सीता ने भी इस परंपरा का निर्वहन किया। माता प्रभु राम को उनके नाम से नहीं पुकारती थीं। आइये जानते हैं कि प्रभु राम को माता सीता किस नाम से बुलाती थीं। इसके आलावा […]
Ramayan: हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि पत्नी को अपने पति का नाम नहीं लेना चाहिए। त्रेता युग में माता सीता ने भी इस परंपरा का निर्वहन किया। माता प्रभु राम को उनके नाम से नहीं पुकारती थीं। आइये जानते हैं कि प्रभु राम को माता सीता किस नाम से बुलाती थीं। इसके आलावा उनके परिवार के अन्य सदस्य, अयोध्यावासी इन्हें क्या कहकर पुकारते थे?
माता सीता ने जब पहली बार प्रभु को देखा था, तभी उन्हें पति मान लिया। राम को पाने के लिए सीता ने देवी पार्वती से प्रार्थना की। गौरी ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी। माता पार्वती ने सीता के समक्ष राम के चरित्र का वर्णन किया था और कहा कि वह करूणानिधान हैं और सबके मन की बात जानते हैं। माता सीता उन्हें करुणानिधान के नाम से पुकारने लगी। इसके अलावा वो उन्हें नाथ भी कहती थीं।
प्रभु श्रीराम भी कई नामों से माता को बुलाते थे। वो जनकनंदिनी को मृगनयनी कहा करते थे, जिसका अर्थ है हिरण जैसी सुन्दर आँखों वाली। राम को उनके पिता दशरथ राम कहकर ही बुलाते थे। माता कौशल्या उन्हें रामभद्र कहती थीं। कैकयी उन्हें रामचंद्र कहती थीं। साधु-संत और उनके भाई उन्हें रघुनाथ कहते थे। अयोध्यवासी उन्हें सीतापति कहते थे। राम नाम पर एक दोहा भी है:- श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे,रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः॥
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